मध्य प्रदेश के खूबसूरत और ऐतिहासिक ऑफबीट पर्यटन स्थल, एक बार जरूर जाएं घूमने
मध्य प्रदेश भारत के मध्य भाग में स्थित एक ऐसा खूबसूरत राज्य है, जो अपने मंदिरों, वनों और झरनों के लिए जाना जाता है। भारत का यह राज्य अपनी प्राकृतिक विविधता के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि, आज हम आपको मध्य प्रदेश के खूबसूरत ऑफबीट पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं क्योंकि इनके बारे में आपको शायद ही पता होगा और यहां घूमकर आपको अलग ही आनंद आएगा।
असीरगढ़ किला
असीरगढ़ किला सतपुड़ा रेंज में पहाड़ियों पर स्थित है। 15वीं सदी के इस किले का निर्माण सम्राट असी अहीर ने करवाया था। इस किले की वास्तुकला भारतीय, अफगान, फारसी और तुर्की वास्तुशिल्प तत्वों का मिश्रण प्रदर्शित करती है, जो कि अपने आप में ही अद्भुत है। हालांकि, कई लोग इस पर्यटन स्थल को भूतिया मानते हैं, जो इतिहास के शौकीनों को और भी अधिक देखने का कारण देता है।
केन घड़ियाल अभयारण्य
मध्य प्रदेश में बांधवगढ़ जैसे वन्यजीव अभयारण्यों की एक विस्तृत श्रृंखला है, लेकिन केन घड़ियाल अभयारण्य के बारे में कम लोग ही जानते हैं। इस अभयारण्य की स्थापना 1981 में घड़ियाल और मगरमच्छों के संरक्षण के लिए की गई थी। केन घड़ियाल अभयारण्य वन्यजीव फोटोग्राफरों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श जगह है। आप यहां आकर पन्ना के रानेह फॉल्स का खूबसूरत नजारा भी देख सकते हैं।
मांडु
पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थित मांडु नामक शहर जहज महल के लिए प्रसिद्ध है। मांडु में मौजूद इस महल का निर्माण 15वीं शताब्दी में उस समय मांडु के शासक गियास-उद-दीन खिलजी की 15,000 पत्नियों के आवास के उद्देश्य से किया गया था। मांडु अद्भुत प्राचीन वास्तुकला का घर भी है। बता दें कि इसमें रूपमती का मंडप, बाज बहादुर का महल, मांडू किला और रीवा कुंड आदि चीजें हैं।
पातालकोट
पातालकोट एक घाटी है, जो सतपुड़ा रेंज में 3,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित है। 20 साल पहले भी इस जगह के बारे में बहुत से लोग नहीं जानते थे और यह मुख्य रूप से आदिवासियों द्वारा बसा हुआ है। "पातालकोट" नाम पाताल से आया है, जिसका अर्थ बहुत गहरा होता है। किंवदंती के अनुसार, भगवान शिव की पूजा करने के बाद रावण का पुत्र मेघनाद इस स्थान से पाताल-लोक गया था।
टीकमगढ़
टीकमगढ़ ओरछा साम्राज्य का हिस्सा था। 1947 में भारत की आजादी तक इसे टिहरी के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है तीन गांवों का समूह होने के लिए "त्रिकोण"। यहां से आप महेंद्र सागर झील का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। यह भारत की सुन्दर झीलों में से एक है। गढ़ कुंदर किले के खंडहर भी यहां मौजूद हैं। टीकमगढ़ की स्थापना बुंदेला वंश के एक राजा रुद्र प्रताप सिंह ने की थी।