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MPSC Civil Judge: सब्जी बेचने वाले की बेटी बनी जज, पढ़िए अंकिता की सफलता की कहानी
सब्जी बेचने वाले की बेटी बनी जज, पढ़िए अंकिता की सफलता की कहानी

MPSC Civil Judge: सब्जी बेचने वाले की बेटी बनी जज, पढ़िए अंकिता की सफलता की कहानी

लेखन तौसीफ
May 17, 2022
11:41 am

क्या है खबर?

यह कहावत तो आपने कई बार सुनी होगी कि जब हौसले मजबूत हों और निश्चय दृढ़ तो मंजिल खुद मिल जाती है। यह बात मध्य प्रदेश के इंदौर की अंकिता नागर ने सच करके दिखाई है। एक सब्जी वाले की बेटी अंकिता ने सभी बाधाओं को पार करके अपने चौथे प्रयास में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPSC) की सिविल जज परीक्षा में पांचवीं रैंक हासिल की है। आइए उनके सफर के बारे में जानते हैं।

सफलता

अंकिता ने चौथे प्रयास में पाई सफलता

मीडिया से बात करते हुए अंकिता ने कहा कि सिविल जज की परीक्षा को लेकर यह उनका चौथा प्रयास था और इससे पहले वह तीन बार इस परीक्षा में असफल हो चुकी थीं। उन्होंने बताया कि स्कूल के दिनों में उनका सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन परिवार की आर्थिक तंगी देखकर उन्होंने डॉक्टर बनने की इच्छा छोड़ दी। हालांकि उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और सिविल जज बनने के लिए अपना प्रयास जारी रखा।

पढ़ाई

टॉर्च की रोशनी में पढ़ाई करती थी अंकिता

अंकिता ने बताया कि सब्जी बेचने के अलावा वह अपनी मां के साथ घर के कामों में भी हाथ बंटाती हैं। उन्होंने कहा, "मैं सब्जी बेचकर घर पर पढ़ाई करती थी। इस दौरान कई बार मुझे घर के कामों में मां का हाथ बंटाना पड़ता था।" हालांकि इसके बाद भी वह दिन में करीब आठ घंटे पढ़ाई करती थीं और कई बार लाइट बंद होने पर टॉर्च की रोशनी में पढ़ाई करती थीं।

आवेदन

सिविल जज परीक्षा के लिए आवेदन करने के नहीं थे पैसे

ABP न्यूज के मुताबिक, LLB और LLM कर चुकी अंकिता ने बताया कि MPSC की सिविल जज परीक्षा के आवेदन के लिए उनके घर में पैसे नहीं थे। उन्होंने बताया, "जिस दिन परीक्षा के लिए आवेदन पत्र भरना था, उस दिन रुपये कम पड़ गए थे। तब मम्मी ने मुझसे कहा कि शाम तक सब्जी बेचकर आवेदन करने के लिए पैसे इकट्ठे हो जाएंगे। इसके बाद शाम तक जब पैसे आए, तब मैंने परीक्षा के लिए आवेदन किया।"

मिसाल

मेरी बेटी एक मिसाल, जीवन में कड़े संघर्ष के बावजूद हिम्मत नहीं हारी- अंकिता के पिता

29 साल की अंकिता के माता-पिता को जैसे ही उनके रिजल्ट कि जानकारी हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अंकिता की मां ने कहा, "हमें अपने समय में पढ़ने का मौका नहीं मिल पाया। लेकिन हमने अपने बेटे-बेटियों को पढ़ाने का सपना देखा था जो आज सच हो गया है।" इस मौके पर अंकिता के पिता अशोक कुमार नागर ने कहा कि उनकी बेटी एक मिसाल है क्योंकि उसने जीवन में कड़े संघर्ष के बावजूद हिम्मत नहीं हारी।