#NewsBytesExplainer: NOTA को सर्वाधिक वोट मिले तो क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट में याचिका; क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को उपरोक्त में से कोई नहीं (NOTA) से जुड़ी एक याचिका पर जवाब मांगा है। इस याचिका में मांग की गई थी कि अगर NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, तो उस सीट पर चुनाव रद्द किए जाएं। सूरत में भाजपा प्रत्याशी की निर्विरोध जीत के बाद ये मामला सुर्खियों में है। आइए जानते हैं मामला क्या है और इसके तकनीकी पहलूओं पर जानकारों का क्या कहना है।
सबसे पहले जानिए याचिका में क्या मांग की गई है?
यह याचिका लेखक और वक्ता शिव खेड़ा ने दायर की है। इसमें मांग की गई है कि अगर NOTA को सभी उम्मीदवारों से ज्यादा वोट मिलते हैं तो उस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव रद्द कर दिए जाएं और नए सिरे से चुनाव कराए जाए। याचिका में ये मांग भी की गई है कि NOTA से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों पर 5 साल के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। साथ ही NOTA को 'काल्पनिक उम्मीदवार' माना जाए।
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिकाकर्ता ने कहा, "हमने सूरत में देखा कि कोई अन्य उम्मीदवार नहीं था, इसलिए सभी को केवल एक ही उम्मीदवार के लिए जाना पड़ा। अगर केवल एक ही उम्मीदवार है तो भी चुनाव होना चाहिए, क्योंकि मतदाता के पास NOTA का विकल्प है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में NOTA का विकल्प मतदाता के पास 'अस्वीकार करने के अधिकार' का परिणाम है। NOTA को वर्तमान व्यवस्था में नागरिकों के अस्वीकार करने के अधिकार के रूप में देखा जाता है।"
क्या है सूरत में भाजपा प्रत्याशी की निर्विरोध जीत का मामला?
दरअसल, गुजरात की सूरत लोकसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार मुकेश दलाल को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया है। इस सीट से 10 उम्मीदवार मैदान में थे। कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का पर्चा रद्द हो गया था। उनके पर्चे में गवाहों के नाम और हस्ताक्षर में गड़बड़ी थी। बाद में बाकी बचे 8 उम्मीदवारों ने भी अपना नाम वापस ले लिया, जिसके बाद दलाल को निर्विरोध विजेता मान लिया गया।
NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिले तो कौन जीतेगा?
जुलाई, 2020 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा था कि NOTA का विकल्प वहां लागू नहीं हो सकता, जहां चुनाव में बस एक ही उम्मीदवार हो। ऐसे उम्मीदवार की निर्विरोध जीत होगी। जहां चुनाव में कई उम्मीदवार होंगे, वहां NOTA का नियम लागू होगा। वहीं अगर किसी चुनाव में NOTA को ही सबसे ज्यादा वोट मिल जाएं तो NOTA के बाद सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जायेगा।
अब तक चुनावों में NOTA को कितने वोट मिले हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में NOTA को 1.85 प्रतिशत वोट मिले थे। 2014 में 8 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में यह आंकड़ा घटकर 0.95 प्रतिशत रह गया था। 2015 में बिहार विधानसभा चुनावों में NOTA को 2.49 प्रतिशत वोट मिले थे, जो विधानसभा चुनावों में किसी भी राज्य में NOTA को मिले सबसे ज्यादा वोट हैं। 2013 से अब तक 261 विधानसभा क्षेत्रों में NOTA वोटों की संख्या जीत के अंतर से ज्यादा थी।
NOTA पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
नवभारत टाइम्स से बात करते हुए राजनीतिक विशेषज्ञ राशिद किदवई ने कहा, "तकनीकी रूप से देखा जाए तो किसी प्रत्याशी को निर्विरोध जीत ठहराना सही नहीं है, क्योंकि EVM में NOTA का विकल्प होता है। हालांकि, लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसा कर पाना बड़ा मुश्किल है। वैसे भी NOTA सभी मतदाताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। अगर मतदान हो और एक वोट भी किसी प्रत्याशी को मिल जाए तो उसे जीता हुआ माना जाएगा।"
क्या है NOTA?
NOTA एक ऐसा विकल्प है, जिसे मतदाता सभी उम्मीदवारों के प्रति असहमति दिखाने के लिए इस्तेमाल कर सकता है। सितंबर, 2013 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद EVM में NOTA का इस्तेमाल शुरू किया गया था। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया था कि वह EVM में NOTA का प्रावधान करे, ताकि मतदाता को किसी को भी वोट नहीं करने का अधिकार मिल सके।