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सुप्रीम कोर्ट में आज CAA को चुनौती देने वाली 200 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट आज CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट में आज CAA को चुनौती देने वाली 200 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई

Mar 19, 2024
10:38 am

क्या है खबर?

केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। कोर्ट इस कानून और इससे संबंधित नियमों को चुनौती देने वाली लगभग 237 याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगी। इन याचिकाओं में CAA को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की गई है। सरकार ने याचिकाओं को रद्द करने की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

CAA

क्या है CAA?

CAA में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके तहत 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले इन समुदाय के लोगों को तुरंत नागरिकता दे दी जाएगी, वहीं उसके बाद या आगे आने वाले लोगों को 6 साल भारत में रहने के बाद नागरिकता मिलेगी। ये कानून दिसंबर, 2019 में पारित हुआ और 11 मार्च, 2024 को इसे लागू किया गया।

लंबित याचिकाएं

2019 से लंबित हैं CAA के खिलाफ याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट में 2019 से CAA के खिलाफ याचिकाएं लंबित हैं। तब कोर्ट ने ये कहते हुए इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था कि अभी इसे लागू नहीं किया गया है और इसके नियम जारी नहीं हुए हैं। अब 4 साल बाद 11 मार्च को सरकार ने CAA से संबंधित नियम जारी करते हुए इसे लागू कर दिया, जिसके बाद अब इसके खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है।

चुनौती

CAA को कोर्ट में चुनौती क्यों दी गई है?

CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कहा गया है कि यह कानून धर्म के आधार पर मुस्लिमों से भेदभाव करता है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मिलने वाले समानता के अधिकार का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह भेदभाव बिना किसी उचित कारण के है और इसके जरिए मुस्लिमों की नागरिकता छीनने की साजिश है। कानून को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लागू करने पर भी सवाल उठ रहे हैं।

याचिकाकर्ता

किस-किस ने दी है CAA को चुनौती?

CAA को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में केरल सरकार, तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस नेता जयराम रमेश आदि नाम शामिल हैं। इसके अलावा अन्य कई संगठनों ने भी इस कानून को चुनौती दी है। केरल की राजनीतिक पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने कानून को लागू करने के समय को लेकर याचिका दायर की है। उसने इसे लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लागू करने पर सवाल उठाए हैं।

सरकार का पक्ष

कानून पर उठ रहे सवालों पर सरकार का क्या कहना है?

केंद्र सरकार ने कानून पर उठ रहे सवालों को खारिज करते हुए कहा है कि CAA नागरिकता देने का कानून है, छीनने का नहीं। उसका कहना है कि ये कानून भारतीय नागरिकों के कानूनी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष अधिकारों को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करेगा, इसलिए याचिकाओं को खारिज किया जाना चाहिए। मुस्लिमों को बाहर रखने पर सरकार का कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान घोषित मुस्लिम देश हैं, इसलिए यहां के मुस्लिमों को बाहर रखा गया है।