#NewsBytesExplainer: क्यों बढ़ रही धारावाहिकों के स्पिन ऑफ की संख्या, आखिर निर्माता कैसे कमाते हैं लाभ?
क्या है खबर?
स्टार प्लस के धारावाहिक 'अनुपमा' के बारे में तो आप जानते ही होंगे। आखिर हो भी क्यों ना, यह इस समय का सबसे लोकप्रिय शो जो ठहरा, जिसे TRP में भी कोई मात नहीं दे पाता।
बीते साल इसके स्पिन ऑफ 'नमस्ते अमेरिका' ने डिज्नी+ हॉटस्टार पर धमाल मचाया था तो कई अन्य सीरियल के भी स्पिन ऑफ बने हैं।
आइए टीवी में बढ़ते स्पिन ऑफ के चलन और इससे निर्माताओं को होने वाले फायदे के बारे में जानते हैं।
विस्तार
पहले स्पिन ऑफ के बारे में समझिए
स्पिन ऑफ का कॉन्सेप्ट फिल्मों में तेजी से आगे बढ़ रहा है तो टीवी भी इस मामले में पीछे नहीं है।
अगर किसी धारावाहिक में दर्शक एक किरदार को बहुत पसंद करते हैं और निर्माता-निर्देशक को लगता है कि इस किरदार पर अलग से कहानी कही जा सकती है तो वे उसका स्पिन ऑफ बनाने का निर्णय लेते हैं।
ऐसे में इसकी कहानी उसी एक किरदार के इर्द-गिर्द बुनी जाती है, जिसमें कुछ नए कलाकार भी शामिल होते हैं।
जानकारी
तापसी की फिल्म है उदाहरण
अक्षय कुमार की 2015 में आई फिल्म 'बेबी' में तापसी पन्नू ने शबाना का किरदार निभाया था, जिसका 2017 में 'नाम शबाना' से स्पिन ऑफ आया। इसी तरह 'एनिमल' में अबरार हक (बॉबी देओल) के किरदार के स्पिन ऑफ की मांग प्रशंसक कर रहे हैं।
माध्यम
टीवी ही नहीं, OTT पर भी आते हैं स्पिन ऑफ
किसी भी धारावाहिक के स्पिन ऑफ को कहां लेकर आना है इसका निर्णय शो के निर्माता करते हैं। अब टीवी के साथ OTT पर भी इन्हें जगह मिलने लगी है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शो आने से न केवल उसका मौजूदा दर्शक वर्ग भी वहां पहुंच जाता है, बल्कि नए दर्शकों के लिए दरवाजे भी खुलते हैं।
ऐसे में शो को देखने वालों की संख्या में इजाफा होने से इसकी पहुंच बढ़ जाती है, जिसका लाभ सीधे निर्माताओं को मिलता है।
सुविधा
दर्शकों को भी OTT से मिलता है लाभ
आज के समय में कई जगह पर टीवी केबल मौजूद है तो कुछ लोगों ने पूरी तरह से डिजिटल की ओर रुख कर लिया है।
एक ओर टीवी पर जहां धारावाहिक के साथ ही विज्ञापन के आने का समय भी तय रहता है तो OTT पर बिना किसी रुकावट दर्शक अपने पसंदीदा शो को देख सकते हैं।
साथ ही कोई तय समयसीमा न होने के चलते वे जब भी उनका मन करे, तब धारावाहिक का लुत्फ उठा सकते हैं।
फायदा
निर्माताओं को होता ये लाभ
स्पिन ऑफ मौजूदा शो की लोकप्रियता का फायदा उठाते हैं, जिससे दोनों शो को अच्छा रिस्पांस मिलता है। साथ ही शो की रेटिंग में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
अब जब दर्शकों की संख्या बढ़ेगी तो लाजमी है कि विज्ञापन भी ज्यादा मिलेगा और उसकी फीस भी बढ़िया होगी। इससे सीधे तौर पर निर्माता और चैनल या फिर OTT प्लेटफॉर्म की आय बढ़ेगी।
इसके साथ ही आसानी से क्रॉस-प्रमोशन किया जा सकता है, जिसमें दोनों धारावाहिक एक-दूसरे का प्रचार करेंगे।
खर्च
स्पिन ऑफ की नए शो से कम होती है लागत
इतना ही नहीं, निर्माताओं की स्पिन ऑफ बनाते समय लागत भी बचती है।
दरअसल, वे अक्सर मौजूदा शो के सेट का इस्तेमाल करते हैं। हां, उसमें थोड़े बदलाव जरूर किए जाते हैं।
साथ ही कलाकारों के कपड़ों को भी थोड़ी फेरबदल करके इस्तेमाल कर लिया जाता है। ऐसे में एक धारावाहिक को पूरे नए सिरे से शुरू करने और स्पिन ऑफ को बनाने में थोड़ी आसानी होती है।
हालांकि, निर्माताओं के ऊपर उम्मीदों पर खरा उतरने का दवाब रहता है।
जानकारी
ये है इसका कुल निचोड़
स्पिन ऑफ से निर्माता अपने कंटेंट में विविधता ला सकते हैं। कुल मिलाकर इसका निचोड़ यही है कि स्पिन ऑफ निर्माताओं को मौजूदा शो की सफलता का लाभ उठाने, अपने ब्रांड की पहुंच बढ़ाने का शानदार मौका देता है। वो भी बिना ज्यादा खर्च किए।
बयान
"बदलती है शो की कहानी, मूल भावना नहीं"
मशहूर टीवी निर्माता राजन शाही ने मिंट के साथ बातचीत के दौरान कहा कि कोई भी सफल फिल्म या टीवी शो अपने आप में एक ब्रांड है क्योंकि डिजिटल या किसी भी प्लेटफॉर्म पर सफलता मिलने की गुजाइंश कम रहती हैं। ऐसे में किसी लोकप्रिय शो का स्पिन ऑफ बनाकर दर्शकों का ध्यान आकर्षित करना अच्छा है।
राजन कहते हैं कि स्पिन ऑफ की कहानी जरूर अलग होती है, लेकिन उसकी मूल भावना नहीं बदलती। इससे शो सफल बनता है।
उदाहरण
इन धारावाहिकों के बन चुके हैं स्पिन ऑफ
2009 से दर्शकों का मनोरंजन कर रहा 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' का 'ये रिश्ते हैं प्यार के' नाम से स्पिन ऑफ आया था, जिसे भी दर्शकों ने काफी पसंद किया था।
एकता कपूर के शो 'ये हैं महोब्बतें' को भी खूब प्यार मिला तो इसके स्पिन ऑफ 'ये हैं चाहतें' ने भी दिल जीत लिया था।
इसी तरह 'कुमकुम भाग्या' का 'कुंडली भाग्या' नाम से स्पिन ऑफ बना, जो आज भी लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं।