डीपफेक के संपर्क में 70 फीसदी भारतीय, मतदाताओं को भी करना पड़ रहा संघर्ष- रिपोर्ट
क्या है खबर?
डीपफेक के खतरों को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। साइबर सुरक्षा कंपनी मैकेफी के अनुसार, लगभग 75 प्रतिशत भारतीयों ने डीपफेक सामग्री का सामना किया है।
लोकसभा चुनावों के मद्देनजर डीपफेक एक चुनौती के तौर पर उभर रहा है, क्योंकि 22 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने हाल ही में एक राजनीतिक उम्मीदवार के डिजिटल रूप से परिवर्तित वीडियो या फोटो देखे हैं।
2024 की शुरुआत में किए गए शोध में ये बात सामने आई है।
रिपोर्ट
रिपोर्ट में क्या सामने आया?
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 4 में से 1 भारतीय ने कहा कि उन्हें हाल ही में ऐसे वीडियो देखे, जो बाद में नकली पाए गए। लगभग 10 में से 8 लोग एक साल पहले की तुलना में डीपफेक के बारे में अधिक चिंतित हैं।
64 प्रतिशत का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) ने ऑनलाइन घोटालों की पहचान करना मुश्किल कर दिया है। 18 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे डीपफेक का शिकार हुए हैं।
पहचान
केवल 30 प्रतिशत ही असली-नकली की पहचान करने में सक्षम
रिपोर्ट के मुताबिक, मात्र 30 प्रतिशत लोगों को विश्वास है कि अगर AI से बनाया गया कोई मेल या वॉयस नोट उन्हें भेजा जाता है तो वे असली और नकली का पता लगा सकते हैं।
आशंका है कि लोकसभा चुनाव और इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जैसे खेल आयोजनों के कारण डीपफेक के संपर्क में आने वाले लोगों की वास्तविक संख्या बहुत अधिक हो सकती है, क्योंकि कई भारतीय असली और नकली में फर्क करने में सक्षम नहीं हैं।
तरीका
किस तरह डीपफेक का शिकार हुए लोग?
जो लोग डीपफेक का शिकार हुए, उनमें से 57 प्रतिशत ने दावा किया कि उन्हें किसी सेलिब्रिटी का वीडियो, फोटो या ऑडियो मिला और उन्होंने माना कि यह असली है।
31 प्रतिशत को डीपफेक के जरिए आर्थिक ठगी का सामना करना पड़ा। 40 प्रतिशत ने कहा कि AI से उनकी आवाज का क्लोन बनाकर इसका गलत इस्तेमाल किसी परिचित को व्यक्तिगत जानकारी या पैसे का खुलासा करने के लिए किया गया।
काम
किन गलत कामों में हो रहा डीपफेक का इस्तेमाल?
रिपोर्ट के मुताबिक, 55 प्रतिशत लोगों का मानना है कि सायबर अपराधों में डीपफेक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है।
52 प्रतिशत ने अश्लील कंटेंट बनाने में, 49 प्रतिशत ने आर्थिक ठगी में, 44 प्रतिशत ने सेलिब्रिटी के नकली वीडियो बनाने में, 37 प्रतिशत ने मीडिया में जनता के विश्वास को कम करने, 31 प्रतिशत ने चुनावों को प्रभावित करने और 27 प्रतिशत ने ऐतिहासिक तथ्यों में छेड़छाड़ को डीपफेक का सबसे चिंताजनक उपयोग माना।
डीपफेक
क्या होता है डीपफेक कंटेंट?
डीपफेक एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें AI का उपयोग कर वीडियो, तस्वीरों और ऑडियो में छेड़छाड़ की जा सकती है। इसमें AI से नकली या फर्जी कंटेंट तैयार किया जाता है।
इसकी मदद से किसी दूसरे की फोटो या वीडियो पर किसी और का चेहरा लगाकर उसे बदला जा सकता है। कह सकते हैं कि इस टेक्नोलॉजी से AI का इस्तेमाल कर फर्जी वीडियो बनाये जा सकते हैं, जो देखने में असली लगते हैं, लेकिन होते फर्जी हैं।