CAA पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल नहीं लगाई रोक, सरकार से मांगा 3 हफ्ते में जवाब
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट में आज विवादित नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई।
कोर्ट ने इस कानून पर रोक नहीं लगाई और केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 3 हफ्ते का समय दे दिया। अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की पीठ ने CAA पर रोक लगाने की मांग करने वाली 237 याचिकाओं पर सुनवाई की।
सुनवाई
सरकार ने कोर्ट में कहा- CAA किसी की नागरिकता नहीं छीनता
सुनवाई शुरू होते ही केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में 237 याचिकाएं और 10 आवेदन दाखिल किए गए हैं और इनका जवाब देने के लिए सरकार को 4 हफ्ते का समय चाहिए।
उन्होंने कहा कि CAA किसी की भी नागरिकता नहीं छीनता है और केवल जो 2014 से पहले देश में आए हैं, उन्हें नागरिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इसमें याचिकाकर्ताओं के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं है।
याचिकार्ता
याचिकाकर्ताओं ने की CAA के तहत किसी को नागरिकता नहीं देने की मांग
याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सरकार को समय दिए जाने का विरोध किया और कहा कि अगर इस दौरान किसी को नागरिकता दे दी गई तो याचिकाएं निष्फल हो जाएंगी।
वहीं वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि सरकार जितना चाहे, उतना समय ले सकती है, लेकिन इस दौरान किसी को नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए।
हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने इस पर हामी नहीं भरी और कोर्ट ने भी ऐसा आदेश नहीं दिया।
CAA
क्या है CAA?
CAA में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
इसके तहत 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले इन समुदाय के लोगों को तुरंत नागरिकता दे दी जाएगी, वहीं उसके बाद या आगे आने वाले लोगों को 6 साल भारत में रहने के बाद नागरिकता मिलेगी।
ये कानून दिसंबर, 2019 में पारित हुआ और 11 मार्च, 2024 को इसे लागू किया गया।
सवाल
CAA को कोर्ट में चुनौती क्यों दी गई है?
CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कहा गया है कि यह कानून धर्म के आधार पर मुस्लिमों से भेदभाव करता है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मिलने वाले समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह भेदभाव बिना किसी उचित कारण के है और इसके जरिए मुस्लिमों की नागरिकता छीनने की साजिश है।
कानून को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लागू करने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
दूसरा पक्ष
कानून पर उठ रहे सवालों पर सरकार का क्या कहना है?
केंद्र सरकार ने कानून पर उठ रहे सवालों को खारिज करते हुए कहा है कि CAA नागरिकता देने का कानून है, छीनने का नहीं।
उसका कहना है कि ये कानून भारतीय नागरिकों के कानूनी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष अधिकारों को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करेगा, इसलिए याचिकाओं को खारिज किया जाना चाहिए।
मुस्लिमों को बाहर रखने पर सरकार का कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान घोषित मुस्लिम देश हैं, इसलिए यहां के मुस्लिमों को बाहर रखा गया है।