#NewsBytesExplainer: जादवपुर विश्वविद्यालय में रैगिंग से छात्र की मौत का आरोप, इसे लेकर क्या है कानून?
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित जादवपुर विश्वविद्यालय में रैंगिंग से जुड़ी एक छात्र की मौत के मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस पूरे मामले को लेकर सियासत भी गरमा गई है और कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार से एंटी-रैगिंग कानून बनाने की मांग की है। आइए जानते हैं कि रैगिंग क्या होती है और इससे जुड़ा मौजूदा कानून क्या कहता है।
क्या है जादवपुर विश्वविद्यालय में रैगिंग का मामला?
9 अगस्त को जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रावास की दूसरी मंजिल से गिरने पर 18 वर्षीय छात्र स्वप्नदीप कुंडू की मौत हो गई थी। कुंडू के परिजनों ने उसकी मौत का जिम्मेदार छात्रावास में रहने वाले अन्य छात्रों को ठहराया था। पुलिस ने बताया कि जब छात्र ऊपर से गिरा तो उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे और कुंडू के शरीर पर चोट के निशान थे। छात्र की मौत से पहले उसके साथ रैंगिंग की बात सामने आई थी।
क्या होती है रैगिंग?
किसी शिक्षण संस्थान के किसी अन्य छात्र के खिलाफ एक छात्र द्वारा किए गए किसी भी शारीरिक, मौखिक या मानसिक दुर्व्यवहार को रैगिंग कहा जाता है। रैगिंग के पीछे नस्ल, धर्म, जाति और आर्थिक पृष्ठभूमि समेत अन्य कई कारण हो सकते हैं। कई बार विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में वरिष्ठ छात्र प्रवेश लेने वाले नए छात्रों के सामने अपनी साख बढ़ाने के लिए अपमानजनक व्यवहार करते हैं, जिसे रैगिंग की श्रेणी में रखा जा सकता है।
रैगिंग करने की श्रेणी में क्या-क्या शामिल?
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 2009 में रैगिंग की घटनाओं को रोकने के लिए विश्वविद्यालयों के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए थे। इनमें रैगिंग की घटनाओं को भी परिभाषित किया गया था। किसी साथी छात्र को चिढ़ाना, उसके साथ अशिष्ट व्यवहार करना, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक क्षति पहुंचाना, शर्म की भावना पैदा करना, शैक्षणिक कार्य को पूरा करवाने के लिए किसी छात्र का शोषण करना, जबरन वसूली करना और अश्लील और आपत्तिजनक टिप्पणी करना आदि रैगिंग में शामिल है।
क्या कहते हैं UGC के नियम?
UGC के नियमों के मुताबिक, हर शैक्षिक संस्थान को रैगिंग की रोकथाम के लिए कदम उठाना जरूरी है। इनमें सार्वजनिक रूप से रैगिंग रोकने की घोषणा करना और छात्रों से एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करना शामिल है कि वे रैगिंग गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे। इसके साथ ही किसी छात्र द्वारा रैगिंग की शिकायत की जांच के लिए हर संस्थान में एंटी-रैगिंग समिति का गठन करने के भी दिशानिर्देश हैं।
रैगिंग के लिए क्या है सजा का प्रावधान?
रैगिंग को एक विशिष्ट अपराध के तौर पर परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन भारतीय दंड संहिता (IPC) के कई प्रावधानों के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। अगर कोई छात्र कॉलेज में रैगिंग में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल होते हुए पकड़ा जाता है तो उसे 2 वर्ष जेल की सजा के साथ-साथ भारी जुर्माना हो सकता है। शिकायत पर उचित कदम नहीं उठाने के लिए विश्वविद्यालय और कॉलेज पर भी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट भी रैगिंग को लेकर कर चुका है टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य तौर पर 2001 में पहली बार रैगिंग के एक केस पर सुनवाई करते हुए इसे देश के शैक्षणिक संस्थानों में व्याप्त खतरे के तौर पर परिभाषित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने विश्व जागृति मिशन की याचिका पर रैगिंग को रोकने के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए थे, जिनमें रैगिंग को रोकने और रैगिंग के खिलाफ शिकायतों को आंतरिक रूप से संबोधित करने के लिए प्रॉक्टोरल समितियों का गठन करना शामिल था।