सुप्रीम कोर्ट ने असम में परिसीमन पर रोक लगाने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने असम में जारी परिसीमन की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए परिसीमन के मसौदे में राज्य की कई लोकसभा और विधानसभा सीटों की सीमाओं में बदलाव का प्रस्ताव रखा गया है। विपक्षी पार्टियां परिसीमन की प्रक्रिया का विरोध कर रही हैं और उनका आरोप है कि यह परिसीमन जानबूझकर 2001 की जनगणना के आधार पर किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने असम की विपक्षी पार्टियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह राज्य में जारी परिसीमन की प्रक्रिया के संबंध में कोई और कदम उठाने से चुनाव आयोग को रोकने के लिए कोई आदेश जारी नहीं करेगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 3 हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।
प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा सुप्रीम कोर्ट
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8A की संवैधानिक वैधता की जांच करने पर सहमति व्यक्त की है। यह धारा चुनाव आयोग को निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का कार्य करने का अधिकार देती है। गौरतलब है कि पहले परिसीमन कोर्ट को शामिल कर एक संयुक्त प्रक्रिया होती थी, लेकिन केंद्र सरकार ने 2008 में यह अधिकार चुनाव आयोग को सौंप दिया था।
किन पार्टियों ने दाखिल की है याचिका?
असम की 9 विपक्षी पार्टियों के 10 नेताओं ने परिसीमन की प्रक्रिया का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इनमें कांग्रेस, रायजोर दल, असम जातीय परिषद, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (CPIM), तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और आंचलिक गण मोर्चा शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं ने विशेष रूप से चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली और 20 जून को जारी किए गए मसौदे को चुनौती दी है।
क्या है असम में परिसीमन का मसौदा?
असम में परिसीमन के मसौदे के मुताबिक, अनुसूचित जाति (SC) की सीटें 8 से बढ़ाकर 9 और अनुसूचित जनजाति (ST) की सीटें 16 से बढ़ाकर 19 की जानी हैं। पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में एक और बोडो प्रादेशिक क्षेत्र में 3 सीटें बढ़ना प्रस्तावित है। कलियाबोर लोकसभा सीट का नाम काजीरंगा किया जाएगा, जबकि लखीमपुर संसदीय सीट को अनारक्षित रखा जाएगा। इसके अलावा बराक घाटी जिलों के लिए 2 लोकसभा सीटें प्रस्तावित की गई हैं।
असम में क्यों किया जा रहा है परिसीमन?
देश में 2008 में परिसीमन का कार्य किया गया था, लेकिन तब सुरक्षा कारणों की वजह से असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड में इस काम को नहीं किया जा सका था। केंद्र सरकार ने 6 मार्च, 2020 को पूर्वोतर भारत के इन 4 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए परिसीमन आयोग का पुनर्गठन किया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने दिसंबर, 2022 में परिसमीन की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी।