सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मनीष सिसोदिया पर नहीं बनता PMLA का मामला, ED से मांगे सबूत
शराब नीति मामले में जेल में बंद आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाई और सबूत पेश करने को कहा। कोर्ट ने ये भी कहा कि अभी तक के सबूतों के आधार पर सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला नहीं बनता है। इस मामले में अगली सुनवाई अब 12 अक्टूबर को होगी।
कोर्ट बोला- बहस के दौरान 2 मिनट में गिर जाएगा केस
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ED को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, "सरकारी गवाह के बयान पर कैसे भरोसा करेंगे? क्या एजेंसी ने सरकारी गवाह की सिसोदिया के साथ घूस पर चर्चा देखी थी? क्या ये बयान कानून में स्वीकार्य होगा? क्या ये कही-सुनी बात नहीं है? ये एक अनुमान है, लेकिन केस में सब कुछ सबूतों पर आधारित होना चाहिए, वरना बहस के दौरान यह केस 2 मिनट में ही गिर जाएगा।'
कोर्ट ने ED से पूछा- सबूत कहां हैं?
कोर्ट ने ED से पूछा कि अगर मनी ट्रेल में सिसोदिया की भूमिका नहीं है तो मनी लॉन्ड्रिंग में उन्हें आरोपी बनाकर कैसे शामिल किया और क्यों? कोर्ट ने कहा, "मनी लॉन्ड्रिंग अलग से कानून है। आपको साबित करना होगा कि सिसोदिया संपत्ति में शामिल रहे हैं। आपके पास यह दिखाने के लिए कोई डाटा है कि शराब नीति कॉपी की गई थी? यदि प्रिंटआउट लिया गया था तो डाटा दिखाइए। इस आशय का कोई डाटा नहीं है।"
कोर्ट ने कहा- अरोड़ा के बयान के अलावा कुछ सबूत नहीं
कोर्ट ने ED को फटकारते हुए कहा कि आपके पास दिनेश अरोड़ा के बयानों के अलावा कोई सबूत नहीं है। कोर्ट ने पूछा, "CBI चार्जशीट में आप कहते हैं कि 100 करोड़ दिए। ED ने 33 करोड़ रुपये बताया है। यह रुपये कहां और किस तरीके से दिए गए, यह साबित करना होगा। आपके पास दिनेश अरोड़ा के बयानों के अलावा शायद ही कुछ है। पैसा किसी और को मिला और उसने इस्तेमाल किया, सिसोदिया के पास पैसा नहीं आया।"
फरवरी से जेल में बंद हैं सिसोदिया
शराब नीति से जुड़े मामले में CBI ने 26 फरवरी को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। इसके बाद इसी मामले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर ED ने उन्हें जेल से गिरफ्तार किया था। दोनों एजेंसियों ने अलग-अलग मामला दर्ज किया है। दोनों ही मामलों की सुनवाई सत्र न्यायालय में चल रही है। सिसोदिया फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। पिछले दिनों ED ने सिसोदिया समेत अन्य आरोपियों की 52.24 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त की थी।
सिसोदिया पर क्या आरोप हैं?
सिसोदिया पर कमीशन लेकर शराब की दुकानों का लाइसेंस लेने वालों को अनुचित फायदा पहुंचाने का आरोप है। दरअसल, कोविड महामारी का हवाला देकर शराब कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपये की निविदा लाइसेंस फीस माफ की गई थी। आरोप है कि यह फैसला लेते वक्त सिसोदिया ने कैबिनेट को नहीं बताया और न ही उपराज्यपाल से इसकी अनुमति ली। उपराज्यपाल का आरोप है कि ऐसा तभी संभव है जब सिसोदिया को रिश्वत और कमीशन दिया गया हो।
क्या थी दिल्ली की नई शराब नीति?
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नई शराब नीति लागू की थी। इसके तहत शराब के ठेकों को निजी हाथों में सौंपा जाना था और 32 जोन में 849 दुकानें खुलनी थीं। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस नीति में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए CBI जांच की सिफारिश की थी। जुलाई, 2022 में सरकार ने इस नीति को रद्द कर दिया था। CBI ने जांच के बाद इस मामले में सिसोदिया समेत अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की थी।