शराब नीति मामला: CBI ने दाखिल की चार्जशीट, मनीष सिसोदिया का नाम नहीं
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दिल्ली सरकार की नई शराब नीति से संबंधित मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है। चौंकाने वाली बात ये है कि इस चार्जशीट में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम शामिल नहीं है। हालांकि CBI ने कहा है कि सिसोदिया समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच अभी भी जारी है और वह सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल करेगी। CBI की चार्जशीट लगभग 10,000 पेज की है और कोर्ट इस पर 30 नवंबर को सुनवाई करेगा।
चार्जशीट में AAP संचार प्रभारी समेत 7 आरोपियों का नाम
शराब नीति से संबंधित मामले में अपनी पहली चार्जशीट में CBI ने सात आरोपियों के नामों का जिक्र किया है। इनमें AAP के संचार प्रभारी विजय नाइक और हैदराबाद के कारोबारी अभिषेक बोइनपल्ली शामिल हैं। इसके अलावा शराब कारोबारी समीन महेंद्रु, बोइनपल्ली के सहायक अरुण पिल्लई और मुत्थू गौतम का नाम भी चार्जशीट में शामिल है। बाकी दो आरोपी दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग में काम कर चुके दो अधिकारी हैं।
कई पहुलओं की जांच अभी बाकी- CBI
दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में विशेष CBI जज एमके नागपाल के सामने दाखिल की गई चार्जशीट में CBI ने कहा है कि लाइसेंसधारियों के साथ साजिश और पैसों के लेनदेन जैसे विभिन्न पहलुओं पर अधिकारियों और अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच अभी जारी है।
मामले में सिसोदिया के घर पर छापा मार चुकी है CBI
बता दें कि CBI ने नई शराब नीति में अनियमितता से संबंधित इस मामले में कुल 15 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है, जिनमें सिसोदिया मुख्य आरोपी हैं। CBI ने अगस्त में सिसोदिया के घर पर छापा मारा था। वह उनके बैंक लॉकर की तलाशी भी ले चुकी है और उनसे पूछताछ भी की है। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की सिफारिश पर CBI मामले की जांच कर रही है। उन्होंने भ्रष्टाचार के लिए सिसोदिया को जिम्मेदार ठहराया है।
सिसोदिया पर क्या आरोप हैं?
सिसोदिया पर कमीशन लेकर शराब की दुकानों का लाइसेंस लेने वालों को अनुचित फायदा पहुंचाने का आरोप है। उन पर विदेशी शराब की कीमत में बदलाव करने और बीयर से आयात शुल्क हटाने का आरोप है जिसके कारण विदेशी शराब और बीयर सस्ती हो गईं और राजकोष को नुकसान हुआ। सिसोदिया पर उपराज्यपाल की मंजूरी लिए बिना कोविड महामारी का हवाला देकर 144.36 करोड़ रुपये की निविदा लाइसेंस फीस माफ करने का आरोप भी है।
न्यूजबाइट्स प्लस
अपना राजस्व बढ़ाने और शराब माफिया और नकली शराब पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार पिछले साल नई शराब नीति लेकर आई थी। इसके जरिए सरकार ने अपने सभी ठेके बंद कर दिए थे और शहर में केवल शराब के निजी ठेके और दुकानें रह गई थीं। इन दुकानों के लिए दोबारा से नए लाइसेंस जारी किए गए थे। सरकार ने उन्हें डिस्काउंट पर शराब बेचने की अनुमति भी दी थी। विवाद के कारण अभी पुरानी नीति लागू है।