मणिपुर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने CBI को असम में सुनवाई की अनुमति दी, जानें अन्य अहम दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मणिपुर हिंसा से जुड़े जिन आपराधिक मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कर रही है, उनकी सुनवाई असम में की जा सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने हिंसा पीड़ितों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मणिपुर से अपने बयान देने की सुविधा प्रदान करने के लिए कई निर्देश भी जारी किए। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए मणिपुर में इंटरनेट सुविधा दी जाएगी
CJI चंद्रचूड़ ने अध्यक्षता वाली बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के आश्वासन के बाद आदेश पारित किया कि पीड़ितों को इस तरह की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अनुमति देने के लिए मणिपुर में उचित इंटरनेट सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। कोर्ट की बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि उसका यह आदेश उन लोगों को नहीं रोकेगा, जो ऐसी कार्यवाही में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए असम के गुवाहाटी आना चाहते हैं।
CJI बोले- गुवाहाटी हाई कोर्ट के न्यायाधीश करके निगरानी
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "आप चाहते हैं कि बयान मणिपुर में दर्ज किए जाएं, न कि असम में या जहां भी पीड़ित हैं। गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। हम किसी भी पीड़ित को असम जाने के लिए नहीं कहेंगे। उनके बयान मणिपुर में ही दर्ज किए जाएंगे।'' दरअसल, आज कोर्ट में पीड़ितों की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं ने मुकदमों को असम में संचालित करने पर चिंता व्यक्त की थी।
कोर्ट की बेंच अपने निर्देशों में क्या कहा?
CJI की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मुकदमे से निपटने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी और सत्र न्यायाधीश के पद से ऊपर के एक या एक से अधिक अधिकारियों को नामित करेंगे। आदेश में आगे कहा गया कि अभियुक्तों की पेशी, रिमांड, न्यायिक हिरासत और अन्य कार्यवाही के लिए सभी आवेदनों की कोर्ट से दूरी और सुरक्षा मुद्दों को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन सुनवाई की अनुमति होगी।
कोर्ट ने और क्या निर्देश दिए?
कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि मणिपुर में न्यायिक हिरासत की अनुमति दी जाएगी। CrPC की धारा 164 के तहत गवाहों के बयान को मणिपुर में स्थानीय मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में दर्ज करने की अनुमति है। हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इसके लिए एक या अधिक मजिस्ट्रेट नामित करेंगे। मणिपुर स्थित मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से परीक्षण पहचान परेड आयोजित की जा सकती है। इसके अलावा तलाशी और गिरफ्तारी वारंट भी ऑनलाइन जारी होंगे।
मणिपुर हिंसा में 160 से अधिक लोगों की मौत
मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय ने गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने के खिलाफ एकजुटता मार्च निकाला था, जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी। मणिपुर हिंसा में 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, 6,000 से ज्यादा FIR दर्ज की गई हैं, हजारों लोग बेघर हो चुके हैं और 30 लोग महीनों से लापता हैं। सुप्रीम कोर्ट में हिंसा से संबंधित करीब 10 याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है।