भोपाल गैस त्रासदी: पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा देने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को अधिक मुआवजा देने की मांग करने वाली केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है।
केंद्र सरकार ने यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की उत्तराधिकारी कंपनी डॉव केमिकल्स से 7,800 करोड़ रुपये से अधिक के अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद 12 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
फैसला
दो दशकों बाद मुद्दा उठाना तर्कहीन- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दो दशक के बाद इस मुद्दे को उठाने के लिए कोई तर्क प्रस्तुत नहीं करने को लेकर केंद्र सरकार से असंतुष्टि जताई। कोर्ट ने कहा कि यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन की उत्तराधिकारी कंपनी पर और ज्यादा मुआवजे का बोझ नहीं डाला जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास पड़ी 50 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजे के लिए किया जा सकता है।
याचिका
केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में क्या कहा था?
केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1989 में जब पीड़ितों के लिए मुआवजा तय किया था, तब जहरीली गैस के रिसाव से मानव जीवन और पर्यावरण को हुए वास्तविक नुकसान की विशालता का आंकलन ठीक तरीके से नहीं किया जा सका था।
केंद्र ने इसी आधार पर इस अभूतपूर्व त्रासदी को देखते हुए पीड़ितों को बढ़ा हुआ मुआवजा देने की मांग की थी।
दलील
मामले में कंपनी की क्या दलील थी?
यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन की उत्तराधिकारी कंपनी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि केंद्र सरकार ने समझौते के दौरान कभी यह सुझाव नहीं दिया कि मुआवजा अपर्याप्त था।
उन्होंने यह भी कहा कि 1989 से भारतीय रुपये की कीमत में हुई गिरावट मुआवजे की राशि को बढ़ाए जाने का आधार नहीं हो सकती है।
गौरतलब है कि डॉव केमिकल्स ने 1989 में समझौते के तहत 715 करोड़ रुपये के मुआवजे का भुगतान किया था।
त्रासदी
क्या है भोपाल गैस त्रासदी?
भोपाल में 2 और 3 दिसंबर, 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड प्लांट के कारखाने से एक जहरीली गैस का रिसाव हो गया था। रिकॉर्ड के मुताबिक, प्लांट को ठंडा करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी में मिथाइल आइसोसाइनेट मिल गई थी।
इस मिश्रण के कारण जहरीली गैस उत्पन्न हुई, जिसने स्टोरेज टैंक पर जबरदस्त दबाव डाला। इसके कारण टैंक से हजारों टन जहरीली गैस एक बड़े क्षेत्र में फैल गई और लगभग 15,000-20,000 लोग मारे गए।
आरोपी
मुख्य आरोपी एंडरसन को कभी नहीं हुई सजा
भोपाल गैस त्रासदी के मुख्य आरोपी यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन के चेयरमैन वारेन एंडरसन थे, लेकिन उन्हें कभी सजा नहीं हो सकी।
एंडरसन को त्रासदी के कुछ दिनों बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन इसके बाद वह जमानत पर रिहा होकर वापस अमेरिका भाग गया।
इसके बाद उसके खिलाफ कई वारंट जारी किए गए और उसके प्रत्यर्पण की कोशिशें भी की गई थीं। एंडरसन की वर्ष 2014 में 92 वर्ष की आयु में मौत हो गई थी।