BBC डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, अगले हफ्ते होगी याचिका पर सुनवाई
केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी BBC की डॉक्यूमेंट्री पर लगाए गए प्रतिबंध का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एक वकील ने प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की है, जिस पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से डॉक्यूमेंट्री के दोनों भागों की जांच करने और गुजरात दंगों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है।
दाखिल की गई याचिका में क्या मांग की गई है?
वकील मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में कहा कि डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से 21 जनवरी को जारी आदेश मनमाना, दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने अपनी याचिका में पूछा है कि क्या केंद्र सरकार प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा सकती है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत एक मौलिक अधिकार है।
याचिका में और क्या कहा गया है?
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को तय कर करना चाहिए कि देश के नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19 में दिए गए अभिव्यक्ति के अधिकार के तहत 2002 गुजरात दंगों पर समाचार, तथ्य और रिपोर्ट देखने का अधिकार है या नहीं। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि BBC की डॉक्यूमेंट्री में ऐसे तथ्य और सबूत मौजूद हैं, जिनका उपयोग दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए किया जा सकता है।
IT नियम 2021 की धारा 16 के तहत लगाई गई थी प्रसारण पर रोक
केंद्र सरकार ने IT नियम 2021 की धारा 16 के तहत डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर रोक लगाई है। इस नियम को आधिकारिक रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के रूप में भी जाना जाता है। 25 फरवरी, 2021 को अधिसूचित किए गए यह नियम आपातकाल के मामले में सूचना को अवरुद्ध करने के संबंध में सरकार को शक्ति प्रदान करता है और किसी सामग्री को तुरंत हटाने की अनुमति देता है।
डॉक्यूमेंट्री में क्या दिखाया गया है?
'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक BBC की इस डॉक्यूमेंट्री में दंगों के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें बताया गया है कि दंगों के बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने अपने स्तर पर मामले की जांच की थी और इसमें पाया गया था कि हिंसा पहले से सुनियोजित थी और राज्य सरकार के संरक्षण में विश्व हिंदू परिषद (VHP) जैसे संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इसे अंजाम दिया था।