मध्य प्रदेश: भोपाल गैस त्रासदी की जंग के पांच विजेताओं ने कोरोना से मानी हार
पूरी दुनिया में हाहाकार मचाने वाला कोरोना वायरस बेहद ताकतवर है। यही कारण है कि साढ़े तीन दशक पहले मध्य प्रदेश के भोपाल में हुई खतरनाक गैस त्रासदी की जंग जीतने वाले पांच लोगों ने इससे हार मान ली ओर उनकी मौत हो गई। इन पांचों लोगों ने गत 5 से 12 अप्रैल के बीच कोरोना संक्रमण से दम तोड़ दिया। भोपाल गैस पीड़ितों के हितों के लिये काम करने वाले संगठन ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
अन्य बीमारियों से पीडि़त थे पांचों मृतक
गैस त्रासदी पीडि़तों के लिए काम करने वाले संगठन भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा ने बताया कि भोपाल में कोरोना से अब तक पांच लोगों की मौत हुई है। सभी पांचों लोग गैस त्रासदी के पीडि़त थे। गैस त्रासदी के कारण सभी अन्य बीमारियों ग्रसित थे। उन्होंने बताया कि गैस त्रासदी की चपेट में आए लोग आज भी कई बीमारियों से ग्रसित हैं और उनका इलाज जारी है। ऐसे में वह कोरोना से हार गए।
हजारों लोग आज भी भुगत रहे हैं भोपाल गैस त्रासदी दंश
बता दें कि भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैस 'मिक' का रिसाव हो गया था। उसकी चपेट में आने वाले हजारों लोग आज भी कई स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
इन बीमारियों से ग्रसित थे मृतक
ढींगरा ने बताया कि पांच अप्रैल को कोरोना की जंग हारने वाले 55 वर्षीय बुजुर्ग को लम्बे समय से फेफड़े की समस्या थी। इसी तरह 8 अप्रैल को दम तोड़ने वाले 80 वर्षीय सेवानिवृत्त कर्मचारी असाध्य बीमारी से ग्रसित थे। 11 अप्रैल को दम तोड़ने वाला 52 वर्षीय मरीज टीबी और उसी दिन दम तोड़ने वाले 75 वर्षीय पत्रकार भी पीड़ित थे। 12 अप्रैल को दम तोड़ने वाले 40 वर्षीय मरीज को मुंह का कैंसर था।
सरकार ने गैस त्रासदी पीडि़तों के बनाए अस्पताल को किया बंद
बता दें कि सरकार ने भोपाल गैस पीड़ितों के लिए भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BMHRC) बनाया था, लेकिन कोरोना के कारण उसे बंद कर उसमें केवल कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इससे गैस त्रासदी पीड़ितों को परेशानी हो रही है।
गैस पीड़ितों में पांच गुना अधिक है कोरोना संक्रमण का खतरा
ढींगरा ने बताया कि संगठन की ओर से राज्य एवं केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर आगाह किया गया था कि गैस त्रासदी पीड़ितों में कोरोना का संक्रमण होने की आशंका अन्य लोगों की तुलना में पांच गुना अधिक है। इसके बाद भी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया और गैस पीड़ितों के लिए बने अस्पताल को कोरोना को समर्पित कर दिया। उन्होंने बताया कि अस्पताल के दो पल्मोनोलॉजिस्ट और अन्य विशेषज्ञ सिर्फ कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
राज्य में 5.74 लाख लोग गैस त्रासदी से हैं प्रभावित
ढींगरा ने बताया कि भोपाल गैस त्रासदी में करीब 20,000 लोगों की मौत हो गई थीं। इसके अलावा 5.74 लाख लोग उससे प्रभावित हुए थे और आज कई अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं। ऐसे में उनके लिए संचालित किए गए अस्पताल में उपचार बंद होने से उन लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। सरकार को उनके लिए समर्पित अस्पताल को पूरी तरह से कोरोना को समर्पित करने की जगह एक विंग उनके लिए भी संचालित रखनी चाहिए थीं।
देश और मध्य प्रदेश में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
देश में महामारी के कुल 11,439 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 9,756 सक्रिय मामले हैं, 1,306 ठीक हुए हैं और 377 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह मध्य प्रदेश में अब तक 757 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चकी है। इनमें से 53 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा मौत इंदौर में 37 लोगों की हुई है। भोपाल में संक्रमितों की संख्या 158 है और पांच लोगों की मौत हो गई।