इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर मार्च में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मार्च में सुनवाई की जाएगी। भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने मामले को मार्च के तीसरे सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह है और इससे भ्रष्टाचार बढ़ा है।
दो अन्य याचिकाओं पर भी होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले से संबंधित दो अन्य याचिकाओं की सुनवाई अलग से होगी। बता दें कि एक याचिका राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के तहत लाए जाने की मांग के लिए दायर हुई है, वहीं दूसरी याचिका विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 2010 के तहत विदेशी फंडिंग की प्रमाणिकता की मांग को लेकर दायर हुई है। दोनों याचिकाओं पर सुनवाई अप्रैल में की जाएगी।
इलेक्टोरल बॉन्ड की याचिका में क्या कहा गया है?
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और कॉमन कॉज की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याचिका में कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को वैध कर दिया है और इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता खत्म हो गई है। उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच द्वारा की जानी चाहिए। वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि यह एक पारदर्शी योजना है।
2017 में पहली बार दायर हुई थी याचिका
ADR ने वर्ष 2017 में इलेक्टोरल बॉन्ड के खिलाफ याचिका दायर की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश में इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
क्या होते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड?
इलेक्टोरल बॉन्ड एक कागज की तरह होता है, जिसमें बॉन्ड का मूल्य लिखा होता है। इस बॉन्ड की शुरूआत वर्ष 2018 में हुई थी। इसको जारी करने के दौरान केंद्र सरकार ने दावा किया था कि इससे राजनीति चंदे में पारदर्शिता आएगी। इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कोई भी शख्स इस बॉन्ड के माध्यम से अपनी पसंदीदा राजनीतिक पार्टी को चंदा दे सकता है।
किस तरह खरीद सकते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड?
सरकार की मंजूरी के बाद कोई भी शख्स इलेक्टोरल बॉन्ड को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शाखा से खरीद सकता है। इस बॉन्ड की कीमत 1,000 रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक है। ये इलेक्टोरल बॉन्ड जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर की शुरूआत से 10 दिनों तक खरीदे जा सकते हैं। यह बॉन्ड लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, पटना, नई दिल्ली, चंडीगढ़, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर और मुंबई जैसे शहरों में SBI की 29 शाखाएं पर उपलब्ध हैं।
क्यों उठते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड पर सवाल?
इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी प्रक्रिया में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी केवल बैंक के पास होती है और राजनीतिक पार्टियां अपने चंदे की जानकारी देने की जिम्मेदारी से मुक्त हो जाती हैं। विरोधियों का कहना है कि इसके जरिए कोई भी कंपनी या धनी व्यक्ति किसी भी पार्टी को मनचाहा चंदा दे सकता है और किस कंपनी ने किस पार्टी को चंदा दिया, ये कभी सामने नहीं आएगा। इसके जरिए कालेधन को सफेद किए जाने की आशंका भी है।