दिल्ली मेयर चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, AAP उम्मीदवार शैली ओबरॉय ने दायर की याचिका
दिल्ली मेयर चुनाव का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) की मेयर उम्मीदवार शैली ओबरॉय ने गुरुवार को कोर्ट में याचिका दायर करते हुए समयबद्ध तरीके से मेयर का चुनाव कराने की मांग की है। जनवरी में दिल्ली नगर निगम (MCD) की बैठक में हंगामे के बीच मेयर का चुनाव दो बार टल गया है। इसके बाद ही AAP ने यह कदम उठाया है और इस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है।
AAP मेयर उम्मीदवार ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा?
शैली ओबरॉय ने बताया कि याचिका में पार्टी की ओर से दो मांगें रखी गई हैं। इसमें पहली मांग है कि समयबद्ध तरीके से MCD में सरकार बनाई जाए और कोर्ट जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को पूरी करवाए। उनकी दूसरी मांग है कि MCD में मनोनीत पार्षद यानी एल्डरमैन को वोटिंग का अधिकार नहीं है, लेकिन भाजपा इनसे वोटिंग करवाना चाहती है। इसको लेकर कोर्ट से केंद्र सरकार और MCD प्रशासन को आदेश देने को कहा गया है।
AAP ने भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप
AAP मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया है कि मार्च, 2022 में ही नगर निगम पर भाजपा का शासन समाप्त हो गया है, लेकिन पहले निगमों को एक करने के नाम पर उसने सत्ता पर पकड़ बनाए रखी और अब मेयर पद का चुनाव नहीं करा रही है। उनका आरोप है कि भाजपा गंदी राजनीति करके MCD में अल्पमत में होने के बाद भी असंवैधानिक तरीके से मेयर पद पर अपना अधिकार बनाए रखना चाहती है।
AAP ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार
भाजपा ने AAP पर चुनाव से भागने का लगाया आरोप
भाजपा ने AAP पर मेयर पद के चुनाव से भागने का आरोप लगाया है। दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि बहुमत होने के बाद भी AAP मेयर पद का चुनाव नहीं होने दे रही है। उन्होंने कहा कि 6 जनवरी को मेयर पद के चुनाव के समय AAP के पार्षदों ने हंगामा किया और भाजपा नेताओं के साथ अभद्रता की। इस पूरी घटना का वीडियो सबूत के तौर पर कोर्ट में सामने रखा जाएगा।
क्या रहे थे MCD चुनाव के नतीजे?
MCD चुनाव में AAP ने 250 में से कुल 134 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं भाजपा ने 104 और कांग्रेस ने नौ सीटों पर जीत दर्ज की। वोट शेयर की बात करें तो AAP को चुनाव में 42 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे, जबकि 2017 में हुए पिछले चुनाव में उसे मात्र 25 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं भाजपा का वोट शेयर पिछले चुनाव में 35.5 प्रतिशत से बढ़कर 39 प्रतिशत हो गया।