#NewsBytesExplainer: प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा कितनी अहम और किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 और 9 जुलाई को रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद ये प्रधानमंत्री की पहली रूस याक्षा है। साथ ही तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा भी है। इस दौरान वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक करेंगे। दोनों देशों में आपसी संबंधों को मजबूत करने समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। आइए जानते हैं यह दौरा कितना अहम है।
क्या है दौरे का एजेंडा?
क्रेमलिन प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने इस दौरे को बहुत अहम बताया है और कहा है कि दोनों नेता क्षेत्रीय, वैश्विक सुरक्षा, द्विपक्षीय संबंध और व्यापार पर चर्चा करेंगे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में भारत सरकार के सूत्रों के हवाले से कहा गया कि बातचीत में रक्षा, कच्चा तेल और गैस जैसे मुद्दे प्रमुख एजेंडा होंगे। इसके अलावा यूक्रेन युद्ध और युद्ध में भारतीय सैनिकों के इस्तेमाल पर भी चर्चा हो सकती है।
व्यापार असंतुलन पर होगी चर्चा
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि भारत और रूस व्यापार में 2023-24 में तीव्र वृद्धि देखी गई और यह मुख्य रूप से मजबूत ऊर्जा सहयोग के कारण 5 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है। उन्होंने कहा, "इसमें भारतीय निर्यात केवल 33,000 करोड़ रुपये का था। दोनों के बीच व्यापार असंतुलित बना हुआ है, जो चर्चाओं का प्राथमिक विषय है। भारत को कृषि, प्रौद्योगिकी, दवाओं और विभिन्न क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा देकर इसमें सुधार की उम्मीद है।"
रूसी सेना में भर्ती किए भारतीय की वापसी पर होगी चर्चा
क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी उन भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई के मुद्दे को भी उठाएंगे, जिन्हें रूसी सेना में सेवा देने के लिए गुमराह किया गया है। बता दें कि इस साल कई मामले सामने आए हैं, जिनमें नौकरियों या शिक्षा का वादा कर भारतीयों को रूस ले जाया गया और फिर जबरन युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया गया। यूक्रेन युद्ध में कम से कम 4 भारतीय मारे गए हैं।
चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे पर भी चर्चा की उम्मीद
मनीकंट्रोल ने वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के हवाले से कहा है कि प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले ही चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग को विकसित करने के लिए भारत और रूसी सरकारों के बीच चर्चा तेज हो गई है। बता दें कि चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मार्ग लगभग 10,300 किलोमीटर लंबा है। इसके बनने के बाद भारत से रूस के पूर्व तक माल पहुंचने में मात्र 24 दिन लगेंगे। फिलहाल ये सफर करीब 40 दिनों में होता है।
भारत के लिए क्या है दौरे के मायने?
जानकारों का मानना है कि कुछ समय से ऐसी छवि बन रही है कि भारत पश्चिम के करीब जा रहा है और रूस से दूरी बढ़ रही है। प्रधानमंत्री की यात्रा से इसे कम किया जा सकता है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के विश्लेषक नंदन उन्नीकृष्णन ने रॉयटर्स से कहा, "मोदी की मॉस्को यात्राओं में कमी ने अटकलें लगाई थीं कि भारत-रूस संबंध ठीक नहीं हैं। मुझे लगता है कि ये यात्रा इस तरह की अटकलों पर विराम लगा देगी।"
पश्चिमी देशों के लिहाज से कितनी अहम यात्रा?
पश्चिमी देशों ने चीन-रूस के लिहाज से भारत के साथ संबंधों को एक सुरक्षा कवच के तौर पर विकसित किया है। भारत ने S-400 वायु रक्षा प्रणाली और कच्चे तेल को लेकर अमेरिकी दबाव को खारिज किया है। नवभारत टाइम्स के एक लेख के मुताबिक, प्रधानमंत्री इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी रूस यात्रा पर पश्चिम की पैनी नजर होगी, इसलिए उन्होंने यात्रा को एक दिन के लिए सीमित कर संतुलन बनाने की कोशिश की है।
न्यूजबाइट्स प्लस
पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच 16 बार मुलाकात हुई है। पुतिन 5वीं बार राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी से मिलेंगे। दोनों के बीच आखिरी मुलाकात 2022 में समरकंद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में हुई थी। 2021 में भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए पुतिन दिल्ली आए थे। मोदी ने आखिरी बार 2019 में रूस का दौरा किया था।