पुणे पोर्शे हादसा: पुलिसकर्मी, डॉक्टर और विधायक क्यों घिरे, क्या है मामले में भूमिका?
पुणे के चर्चित पोर्शे कार हादसे में हर दिन नए किरदार सामने आते जा रहे हैं। इस मामले में अब तक पुलिसकर्मी, अस्पताल के डॉक्टर, स्थानीय विधायक, किशोर न्याय बोर्ड (JJB) के सदस्य, आरोपी नाबालिग के परिजनों समेत कई लोग संदेह के घेरे में हैं। घटना को 2 हफ्ते गुजर जाने के बावजूद रोज नए खुलासे हो रहे हैं। आइए जानते हैं इस घटना में कौन-कौन आरोपी हैं और उन पर क्या आरोप हैं।
विधायक सुनील टिंगरे
सुनील टिंगरे पुणे के वडगांव शेरी विधानसभा से विधायक हैं, जहां ये हादसा हुआ है। वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP अजित पवार) गुट से हैं और उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के मौजूदा विधायक जगदीश मुलिक को हराया था। हादसे के बाद से ही कई बार टिंगरे की भूमिका पर सवाल उठे हैं। हादसे वाली रात आरोपी नाबालिग के पिता ने उन्हें 45 बार फोन भी किया था।
विधायक टिंगरे पर क्यों उठ रहे सवाल?
घटना वाली रात टिंगरे येरवडा पुलिस स्टेशन पहुंच गए थे। कथित तौर पर यहां उन्होंने पुलिसकर्मियों पर मामूली कार्रवाई करने का दबाव बनाया। हालांकि, वे इन आरोपों को नकारते हैं। इसके अलावा जिस अस्पताल में नाबालिग का ब्लड टेस्ट किया गया, उस अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर अजय तावड़े की नियुक्ति के लिए टिंगरे ने सिफारिशी पत्र लिखा था। तावड़े पहले कई घोटालों में आरोपी रहे, इसके बावजूद टिंगरे ने उनकी सिफारिश की।
JJB के सदस्य डॉक्टर एलएन दानवाडे
आरोपी नाबालिग को मामूली शर्तों पर JJB के डॉक्टर एलएन दानवाडे ने ही जमानत दी थी। जिस दिन आरोपी के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई, उस दिन रविवार था। इसके बावजूद दानवाडे ने आनन-फानन में सुनवाई की। पुणे पुलिस ने नाबालिग पर व्यस्क की तरह मुकदमा चलाने और उसकी हिरासत मांगी थी, लेकिन दावनाडे ने ये मांग ठुकरा दी। JJB में 3 सदस्य होते हैं, लेकिन आरोपी नाबालिग के जमानत आवेदन पर अकेले दानवाडे ने ही पूरी सुनवाई कर ली।
आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल
नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल पुणे के बड़े प्रॉपर्टी कारोबारी हैं, जिन पर कई आरोप हैं। पहला तो ये कि उन्होंने अपने नाबालिग बेटे को शराब पीने और नशे की हालत में वाहन चलाने की अनुमति दी। दूसरा आरोप है कि उन्होंने घटना के बाद घर के CCTV फुटेज से छेड़छाड़ की। इसके अलावा उन पर फैमिली ड्राइवर के अपहरण, जबरन बंधक बनाने और धमकी देने के आरोप में भी मामला दर्ज किया गया है।
नाबालिग के पिता पर और क्या हैं आरोप?
विशाल पर अपने नाबालिग बेटे के ब्लड सैंपल को बदलवाने का भी आरोप है। पुलिस को जांच में पता चला है कि घटना के बाद 2 घंटे के भीतर डॉक्टर तावड़े और विशाल के बीच फोन पर 14 बार बातचीत हुई थी। संभवत: इसमें ब्लड सैंपल बदलवाने को लेकर चर्चा हुई है। घटना के बाद विशाल भाग गया था और उसे बाद में छत्रपति संभाजीनगर से हिरासत में लिया गया।
नाबालिग आरोपी के दादा
नाबालिग आरोपी के 77 वर्षीय दादा पर ड्राइवर के कथित अपहरण और उसे धमकाने का आरोप है। दादा ने ड्राइवर को घटना की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेने के लिए मजबूर किया। इसके बाद ड्राइवर ने कहा था कि घटना के वक्त गाड़ी नाबालिग नहीं, बल्कि वो खुद चला रहा था। दादा के खिलाफ पहले से पुणे और सतारा जिले में 4 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनका अंडरवर्ल्ड से संबंध भी सामने आया है।
पुलिस पर क्या हैं आरोप?
पुलिस पर आरोप हैं कि उन्होंने नाबालिग के साथ थाने में VIP जैसा व्यवहार किया। आरोप लगे कि आरोपी को थाने में पिज्जा खाने को दिया गया। इसके अलावा पुलिस पर कमजोर धारा लगाने, ब्लड सैंपल लेने में जानबूझकर देरी करने और मामले को रफा-दफा करने के भी आरोप लगे। बाद में पुलिस निरीक्षक राहुल जगदाले और सहायक पुलिस निरीक्षक विश्वनाथ टोडकरी को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया।
आरोपी की मां शिवानी अग्रवाल और बार कर्मचारी भी घिरे
नाबालिग की मां शिवानी अग्रवाल पर आरोप हैं कि उन्होंने बेटे की जगह अपने ब्लड सैंपल दिए, ताकि नाबालिग के नशे में न होने की पुष्टि हो सके। कथित तौर पर इसके लिए डॉक्टरों ने 3 लाख रुपये की रिश्वत भी ली। मां अब फरार बताई जा रही हैं। नाबालिग को शराब परोसने के आरोप में 2 पब के मालिक, प्रबंधक और कर्मचारियों पर भी मामला दर्ज किया गया है।