
ISRO का सुपर-हेवी रॉकेट 'N1' एलन मस्क की स्पेस-X को कैसे देगा टक्कर?
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट की योजना पेश की है। इसे 'N1' नाम दिया गया है और इसकी ऊंचाई लगभग 40 मंजिल बताई गई है। यह रॉकेट पृथ्वी की निचली कक्षा में 75,000 किलोग्राम तक का भार ले जा सकेगा। ISRO प्रमुख वी नारायणन ने बताया कि यह प्रोजेक्ट भारत की तकनीकी प्रगति को नई दिशा देगा और अंतरिक्ष मिशनों में निर्णायक बदलाव लाएगा।
क्षमताएं
N1 की विशेष क्षमताएं
N1 रॉकेट को 'सुपर-हेवी' रॉकेट की श्रेणी में रखा जाएगा। यह एक साथ अंतरिक्ष स्टेशन मॉड्यूल, बड़े सैटेलाइट समूह और मानव मिशनों को भेजने की क्षमता रखेगा। इसे गगनयान मिशन के भविष्य के विस्तार, चंद्रमा और मंगल अभियानों जैसे कठिन मिशनों में उपयोग किया जाएगा। ISRO प्रमुख ने कहा कि आने वाले वर्षों में संचार, नौवहन और रक्षा सैटेलाइट्स की संख्या 3 गुना बढ़ाने में यह रॉकेट अहम भूमिका निभाएगा।
तुलना
अन्य देशों के रॉकेटों से तुलना
N1 रॉकेट भारत को उन देशों की श्रेणी में लाएगा, जिनके पास सुपर-हेवी रॉकेट मौजूद हैं। अमेरिका का स्पेस-X स्टारशिप 1 से 1.50 लाख किलोग्राम तक वजन ले जा सकता है, नासा का स्पेस लॉन्च सिस्टम 95,000 से 1.30 लाख किलोग्राम तक और चीन का लॉन्ग मार्च-9 2030 तक 1.50 लाख किलोग्राम ले जाने में सक्षम होगा। N1 की क्षमता उनसे थोड़ी कम होगी, लेकिन इसकी तकनीकी उपलब्धि भारत को अंतरिक्ष दौड़ में मजबूती से स्थापित करेगी।
टक्कर
स्पेस-X को कैसे टक्कर देगा यह रॉकेट?
भारत का नया सुपर-हेवी रॉकेट अंतरराष्ट्रीय सैटेलाइट लॉन्च बाजार में भारत का हिस्सा बढ़ाएगा। इससे इस क्षेत्र में दबदबा रखने वाली एलन मस्क की कंपनी स्पेस-X को टक्कर मिलेगी। यह रॉकेट सिर्फ विज्ञान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से भी अहम होगा। अधिक सैटेलाइट्स की तैनाती से भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सुरक्षा स्थिति मजबूत कर पाएगा। 35 किलोग्राम से 75,000 किलोग्राम तक की क्षमता ISRO की 6 दशक की मेहनत का नतीजा है।