#NewsBytesExplainer: व्लादिमीर पुतिन की उत्तर कोरिया यात्रा पर क्यों हैं दुनियाभर की नजरें?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 24 साल में पहली बार उत्तर कोरिया पहुंचे हैं। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया है। पुतिन की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है, जिसमें हथियारों को लेकर सौदा भी शामिल है। अमेरिका से बढ़ते तनाव और चीन-रूस की जुगलबंदी के बीच इस यात्रा पर दुनियाभर की नजरें हैं। आइए जानते हैं यात्रा में क्या-क्या हो सकता है।
रूस ने यात्रा के बारे में क्या कहा?
पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव के अनुसार, राष्ट्रपति के साथ उप प्रधानमंत्री डेनिस मंट्रूरोव, रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव सहित कई शीर्ष अधिकारी भी यात्रा पर हैं। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिनमें संभवतः एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर समझौता भी शामिल होगा। उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में सड़कों को पुतिन की तस्वीरों और रूस के झंडों से सजाया गया है।
क्या है पुतिन का उद्देश्य?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुतिन की उत्तर कोरिया यात्रा का मुख्य उद्देश्य आर्थिक और सैन्य पहल है। यात्रा से पहले पुतिन ने कहा कि मॉस्को उत्तर कोरिया के साथ 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी संधि' पर हस्ताक्षर करना चाहता है। पुतिन ने उत्तर कोरिया के सरकारी अखबार में प्रकाशित एक पत्र में कहा था कि रूस और उत्तर कोरिया एक ऐसी व्यापार और भुगतान प्रणाली का निर्माण करेंगे, जो पश्चिम द्वारा नियंत्रित नहीं होगी।
हथियारों को लेकर हो सकता है समझौता
यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हथियारों को लेकर एक अहम समझौता हो सकता है। पुतिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने कहा कि दोनों नेता एक नई रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, "यह समझौता आक्रामक या अन्य देशों के खिलाफ लक्षित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर एशिया में अधिक स्थिरता सुनिश्चित करना है। नया समझौता 1961, 2000 और 2001 में मास्को और प्योंगयांग के बीच हस्ताक्षरित दस्तावेजों की जगह लेगा।"
उत्तर कोरिया से क्या चाहता है रूस?
BBC के मुताबिक, पुतिन के सहयोगी सर्गेई मार्कोव का कहना है कि रूस उत्तर कोरिया से गोला बारूद, निर्माण कार्यों के लिए मजदूर और कुछ सैनिकों को हासिल करना चाहता है। मार्कोव ने कहा कि इसके बदले में उत्तर कोरिया को रूस के उत्पाद मिल सकते हैं और अपने सैन्य हथियारों की तकनीक भी हासिल हो सकती है। इसमें उत्तर कोरिया को लंबी दूरी के मिसाइल कार्यक्रम के लिए रूसी तकनीक भी शामिल है।
उत्तर कोरिया क्या चाहता है?
उत्तर कोरिया रूस की सैन्य प्रौद्योगिकी पर नजर गड़ाए हुए है। उत्तर कोरिया के पास बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमता वाला एक विशाल रक्षा उद्योग है। किम जोंग उन मिसाइलों के विकास और परमाणु और अंतरिक्ष परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए पुतिन की मदद मांग रहे हैं, क्योंकि उत्तर कोरिया पर परमाणु हथियारों और मिसाइल कार्यक्रमों के कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने सालों से भारी प्रतिबंध लगा रखे हैं।
इन समझौतों पर भी बन सकती है बात
DW के अनुसार, पुतिन तेल और गैस सहित प्राकृतिक संसाधनों की आपूर्ति को हरी झंडी दे सकते हैं। रूस पहले से ही उत्तर कोरिया को खाद्यान्न और जरूरत के दूसरे सामान दे रहा है। किम रूस में सैन्य भर्ती के कारण होने वाली कमी को पूरा करने के लिए अधिक श्रमिकों को भेजने पर सहमत हो सकते हैं। CNN ने बताया कि किम को रूसी हथियारों, यूरेनियम संवर्धन, रिएक्टर डिजाइन और पनडुब्बियों से जुड़ी तकनीक में रुचि है।
अमेरिका ने यात्रा पर क्यों जताई चिंता?
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, "बाइडन प्रशासन खुद यात्रा के बारे में चिंतित नहीं है। हमें जिस बात की चिंता है वह इन दोनों देशों के बीच गहराते रिश्ते हैं। हम जानते हैं कि उत्तर कोरियाई बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल अभी भी यूक्रेनी लक्ष्यों पर हमला करने के लिए किया जा रहा है और यहां कुछ पारस्परिकता हो सकती है, जो कोरियाई प्रायद्वीप पर सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है।"