UN रिपोर्ट: बच्चों के विकास सूचकांक में 180 देशों में 131वें स्थान पर भारत
बच्चों के विकास सूचकांक के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी की गई रैंकिंग में भारत को 131वां स्थान मिला है। खास बात यह है कि विश्व के बड़े देशों में शामिल होने के बाद भी भारत अपने पड़ोसी देश भूटान और श्रीलंका से इस मामले में काफी पीछे है। रैंकिंग में श्रीलंका को 68वां और भूटान को 113वां स्थान मिला है। ऐसे में यह रिपोर्ट भारत के लिए चिंता का विषय हो सकती है।
क्या है बच्चों का विकास सूचकांक?
बच्चो के विकास सूचकांक में माता और पांच साल से कम आयु के बच्चों की उत्तर जीविता, आत्महत्या दर, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुविधा, बुनियादी साफ-सफाई, भीषण गरीबी से मुक्ति और बच्चे का विकास आदि बिंदुओं को शामिल किया जाता है। इसके आधार पर विशेषज्ञों ने विश्वभर के 180 देशों में सर्वे कर रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोई भी देश बच्चों को टिकाऊ भविष्य देने के पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है।
40 विशेषज्ञों ने तैयार की है रिपोर्ट
यह रिपोर्ट विश्व के 40 से अधिक बाल एवं किशोर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से तैयार की गई है। इन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और द लैंसेट मेडिकल जर्नल द्वारा नियुक्त किया गया था। ऐसे में यह रिपोर्ट विश्व के देशों के विकास के हिसाब से बहुत मायने रखती है। इसे तैयार करने के लिए विशेषज्ञों ने दुनिया के 180 देशों में बच्चों के स्वास्थ्य, विकास और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों का विश्लेषण किया था।
बच्चों के विकास में ये हैं शीर्ष 10 देश
बच्चों के विकास सूचकांक में नॉर्वे को पहला स्थान मिला है। इसी तरह दक्षिण कोरिया को दूसरा, नीदरलैंड को तीसरा, यूरोपीय देश फ्रांस को चौथा, आयरलैड को पांचवां और डेनमार्क को छठा स्थान मिला है। इसी प्रकार जापान सातवां, बेल्जियम को आठवां, आइसलैंड को नौवां और यूनाइटेड किंगडम को 10वां स्थान मिला है। इसी सूची में ईराक को 121वां, पाकिस्तान को 140वां तथा बांग्लादेश को 143 वां स्थान मिला है।
इन देशों की हालत सबसे ज्यादा खराब
रिपोर्ट में बुरुंडी 156वें, सिएरा लियॉन 172वें, साउथ सूडान 173वें, नाइजीरिया 174वें, गिनी 175वें, माली 176वें, नाइजर 177वें, सोमालिया 178वें, अफ्रीका का चाड 179वें और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक को 180वें स्थान पर है। ये इस मामले में सबसे पिछड़े देश हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन देशों के बच्चे संघर्ष और खाद्य सुरक्षा जैसे अन्य मानवीय संकटों से घिरे हुए हैं। जिसका मूल कारण जलवायु में हो रहा परिवर्तन ही है।
भारत को बताया लोअर मिडिल इनकम वाला देश
रिपोर्ट में भारत को मध्यम दर्जे से नीचे की अर्थव्यवस्था वाला देश करार दिया गया है। यह स्थिति दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहलाने वाले भारत के लिए चिंताजनक है। इस सूची में चीन को 43वां स्थान मिला है। इनकम के मामले में भी चीन को अपर मिडिल इनकम देश बताया गया है। रिपोर्ट में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि धरती लगातार बच्चों के जीने के लिए मुश्किल जगह बनती जा रही है।
भारत को निरंतरता सूचकांक में मिला 77वां स्थान
इन विशेषज्ञों की ओर से निरंतरता सूचकांक भी जारी किया गया है। इसमें भारत को 77वां स्थान मिला है। निरंतरता या संवहनीयता सूचकांक का मतलब है कि देशों में बच्चों के बेहतर विकास के लिए किस तरह के साधन या माहौल मुहैया कराया जा रहा है। शोधकर्ताओं में से एक विश्व स्वास्थ्य एवं संवहनीयता के प्रोफेसर एंथनी कोटेलो ने कहा दुनिया का कोई भी देश बच्चों के विकास और स्वस्थ्य भविष्य के लिए आवश्यक परिस्थितियां उपलब्ध नहीं करा रहा है।