रूस से हथियार खरीद कम कर रहा भारत, विशेषज्ञ बोले- चीन उठा सकता है फायदा
भारत दशकों से रूस से हथियारों की खरीदारी करता आ रहा है। बीते सालों में यूक्रेन युद्ध के कारण भारत की रूस से हथियारों और युद्ध सामग्री की खरीद प्रभावित हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत भले की हथियारों की खरीद को लेकर रूस से अपनी निर्भरता कम कर रहा है, लेकिन उसे इसका भी ध्यान रखना होगा कि इस दूरी का फायदा उठाकर चीन रूस के करीब न चला जाए।
रूस से हथियारों की निर्भरता कम करना चाहता है भारत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक भारत धीरे-धीरे पश्चिम की ओर खासकर अमेरिका की तरफ रुख कर रहा है। उधर अमेरिका भी चीन पर लगाम लगाए रखने के लिए भारत के साथ अपने रिश्तों को तरजीह दे रहा है। जानकारों का मानना है कि ऐसी स्थिति में भारत को बड़ी सावधानी से कदम उठाना चाहिए क्योंकि चीन इसका फायदा उठाकर रूस को भारत के खिलाफ कर सकता है।
2 दशक में रूस से हुई 65 प्रतिशत हथियारों की आपूर्ति- रिपोर्ट
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, पिछले 2 दशकों के दौरान रूस ने भारत को हजारों करोड़ रुपये के हथियार बेचे हैं, जो भारत की कुल खरीद का 65 प्रतिशत है, लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद भारत अपनी हथियार खरीद में विविधता लाने की कोशिश में है। नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के रूस विशेषज्ञ नंदन उन्नीकृष्णन ने कहा कि रूस के साथ भारत के किसी बड़े सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर करने की संभावना नहीं है।
रूस के अनुरोध के बावजूद 'मेक इन इंडिया' पर जोर- विशेषज्ञ
विशेषज्ञों और अधिकारियों ने कहा है कि रूस ने सार्वजनिक रूप से भारत से रक्षा संबंधों को बढ़ाने का आग्रह किया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना ध्यान पश्चिमी तकनीक के साथ घरेलू उत्पादन पर केंद्रित किया है। भारत सरकार पश्चिमी तकनीक के साथ घरेलू स्तर पर हथियारों के उत्पादन पर जोर दे रही है। इस तरह के प्रयास प्रधानमंत्री मोदी के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के लिए भी बेहतर साबित होंगे।
भारत-अमेरिका के बीच बढ़ रहा है रक्षा सहयोग
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल भारत और अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के बीच समझौता हुआ था। इसके तहत जनरल इलेक्ट्रिक भारत में लड़ाकू विमानों के लिए इंजन बनाएगी। किसी गैर-सहयोगी देश के लिए अमेरिका की इस तरह की यह पहली रियायत थी। इसके अलावा दोनों देश हवाई लड़ाई से लेकर इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग और सह-उत्पादन को तेज करने पर विचार कर रहे हैं। चीन के मद्देनजर भारत के अमेरिका के साथ ये रिश्ते महत्वपूर्ण हैं।
भारत को रूस से बनाए रखने होंगे व्यापारिक संबंध- विशेषज्ञ
जानकारों का कहना है कि भारत को 2022 के बाद से अपने तेल के भी सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक रूस के साथ संबंधों पर बहुत संभलकर चलना चाहिए। रूस से व्यापार रोकने से मॉस्को बीजिंग के करीब पहुंच जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि हथियार खरीद रोकने से रूस चीन के नजदीक आ सकता है और ऐसा होने से रोकने के लिए भारत को ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में रूस से व्यापार बढ़ाना होगा।
विशेषज्ञ बोले- यूक्रेन युद्ध के बाद से हथियारों के निर्यात में आई स्थिरता
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन युद्ध के शुरुआती व्यवधानों के बाद से रूस के हथियारों का निर्यात काफी हद तक स्थिर हो गया है, जिससे भारत की परिचालन के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध के कारण रूस के लिए युद्ध सामग्री और उपकरणों का निर्यात करना मुश्किल हो रहा है। रक्षा सूत्रों ने कहा कि भारत अपने नवीनतम विमानवाहक पोत के लिए फ्रांस, जर्मनी और स्पेन का रुख कर सकता है।
भारत ने रूस से अन्य व्यापार बढ़ाने पर दिया जोर
हाल में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मॉस्को में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों के बीच हथियारों के संयुक्त उत्पादन सहित सैन्य और तकनीकी सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा हुई। हलांकि, जयशंकर ने दोनों देशों के बीच ऊर्जा, उर्वरक और इस्पात के व्यापार को आगे बढ़ाने की इच्छा जाहिर की, लेकिन रक्षा सहयोग का जिक्र नहीं किया और इससे रूस को एक बड़ा झटका लगा है।