#NewsBytesExplainer: क्या है NATO, जिससे टकराव को लेकर पुतिन ने तीसरे विश्व युद्ध की चेतावनी दी?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार पांचवीं राष्ट्रपति चुनाव जीत गए हैं। एकतरफा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने एक ऐसी चेतावनी दी है, जिससे दुनियाभर में हलचल मच गई है। पुतिन ने कहा कि अगर अमेरिका के नेतृत्व वाले उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) और रूस के बीच सीधा टकराव होता है तो इससे तीसरा विश्व युद्ध छिड़ सकता है। आइए जानते हैं कि NATO क्या है और रूस के साथ उसका क्या इतिहास है।
क्या है NATO?
NATO अमेरिका और उसके सहयोगियों का एक सैन्य गठबंधन है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल, 1949 को एक संधि के जरिए इसका गठन किया गया था। अमेरिका, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK) समेत कुल 12 देशों ने इसकी स्थापना की थी। अभी इसके सदस्यों की संख्या 32 है। NATO का सबसे प्रमुख प्रावधान ये है कि अगर कोई इनमें से किसी एक देश पर हमला करता है तो इसे सभी देशों पर हमला माना जाता है।
रूस के NATO से चिढ़ने की वजह क्या है?
दरअसल, NATO का गठन रूस (तब सोवियत संघ) को देखते हुए ही किया गया था और इसका सबसे प्रमुख लक्ष्य सोवियत संघ के विस्तार को रोकना था। जिस समय NATO का गठन हुआ, वो शीत युद्ध की शुरुआत का समय था और दुनिया अमेरिका और सोवियत संघ के 2 धड़ों में बंटी हुई थी। NATO के तहत सोवियत संघ के आसपास कई सैन्य ठिकाने बनाए गए, जो सैन्य संघर्ष की स्थिति में निर्णायक साबित हो सकते थे।
यूक्रेन को लेकर विवाद का NATO से क्या संबंध?
1991 में जब सोवियत संघ का 15 नए देशों में विघटन हुआ तो दुनिया एकध्रुवीय रह गई और अमेरिका एकमात्र सुपरपॉवर बचा। उसके नेतृत्व में सोवियत संघ से टूटकर बने कई देश NATO में शामिल हुए और इस तरह NATO के सैन्य ठिकाने रूस के बिल्कुल पास आ गए। अब रूस के साथ सीमा साझा करने वाला यूक्रेन भी NATO में शामिल होना चाहता है। ऐसा होने से रूस पूरी तरह NATO से घिर जाएगा, जो वो बिल्कुल नहीं चाहता।
क्या चाहते हैं पुतिन?
यूक्रेन युद्ध से पहले पुतिन ने कानूनी गारंटी मांगी थी कि यूक्रेन को NATO में शामिल नहीं कराया जाएगा। उन्होंने पूर्वी यूरोप और रूस के पड़ोसी देशों में NATO की सैन्य गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग भी की थी। हालांकि, जब ऐसी कोई गारंटी नहीं दी गई तो रूस ने फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर हमला कर दिया। इस बीच 2023 में फिनलैंड और 2024 में स्वीडन NATO में शामिल हो गए, जो रूस के लिए झटका है।
पुतिन ने तीसरे विश्व युद्ध की चेतावनी क्यों दी?
दरअसल, NATO में शामिल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि वह यूक्रेन युद्ध में अपनी थल सेना उतारने की संभावना से इनकार नहीं कर सकते। इस बयान और रूस-NATO के बीच संघर्ष की आशंका पर पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कहा कहा, "आधुनिक दुनिया में कुछ भी संभव है। ये सभी को स्पष्ट है कि ये तीसरे विश्व युद्ध से महज एक कदम दूर होगा। मुझे लगता है कि इसमें किसी को दिलचस्पी नहीं है।"
NATO और रूस की सैन्य ताकत कितनी?
सैन्य ताकत के मामले में NATO रूस से काफी आगे है। जहां NATO में शामिल सभी 30 देशों का रक्षा बजट 2021 में 1,174 अरब डॉलर था, वहीं इसके मुकाबले रूस का रक्षा बजट मात्र 61.7 अरब डॉलर है। अगर NATO युद्ध में सीधे तौर पर शामिल होता है तो वह सदस्य देशों के 33 लाख सैनिकों का इस्तेमाल कर सकता है। इसके मुकाबले रूस के पास मात्र 12 लाख सैनिक हैं। हवाई ताकत में भी NATO आगे है।