SCO सम्मेलन में जाने के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का प्रयोग नहीं करेंगे प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में होने जा रही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जाते समय पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करेंगे। इसके बजाय वह ओमान, ईरान और मध्य एशिया के लंबे रास्ते से होते हुए बिश्केक पहुंचेंगे। इस फैसले से एक दिन पहले ही पाकिस्तान ने बैठक के लिए प्रधानमंत्री मोदी का VVIP विमान अपने हवाई क्षेत्र से गुजरने की इजाजत दी थी।
बुधवार को रवाना होंगे प्रधानमंत्री मोदी
बिश्केक में 13-14 जून को SCO सम्मेलन होना है, जिसमें शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को रवाना होंगे। भारत ने पाकिस्तान से बिश्केक के लिए यात्रा करते वक्त मोदी के विमान को उसके हवाई क्षेत्र से गुजरने देने का अनुरोध किया था। इसके बाद पाकिस्तानी सरकार ने भारत के अनुरोध को "सैद्धांतिक" मंजूरी दी थी। लेकिन अब पाकिस्तान से मंजूरी के बाद भारत सरकार ने दूसरे रास्ते का प्रयोग करने का फैसला लिया है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, दूसरे रास्ते से जाएंगे प्रधानमंत्री
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने फैसले के बारे में सूचित करते हुए कहा, "SCO सम्मेलन के लिए बिश्केक जाने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के विमान के लिए दो रास्तों पर विचार किया था। अब फैसला ले लिया गया है कि विमान ओमान, ईरान और मध्य एशिया के रास्ते से बिश्केक जाएगा।" उन्होंने ये बात बिश्केक यात्रा के लिए प्रधानमंत्री मोदी कौन सा रास्ता प्रयोग करेंगे, इस सवाल के जवाब में कही।
सम्मेलन में इमरान खान के साथ कोई बैठक नहीं
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी SCO सम्मेलन में भाग लेने के लिए बिश्केक आ रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने दोनों के बीच सम्मेलन में किसी भी द्विपक्षीय बैठक की संभावनाओं से इनकार किया। बता दें कि हाल ही में इमरान खान ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखते हुए कहा था कि पाकिस्तान कश्मीर सहित दोनों देशों के बीच मौजूद सभी भू-राजनीतिक विवादों का निपटारा चाहता है। भारत का कहना है कि आतंक और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते।
क्या है शंघाई सहयोग संगठन?
शंघाई सहयोग संगठन यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है। चीन और रूस सहित 5 देशों ने साल 2001 में इसकी स्थापना की थी। इसका मकसद सदस्य देशों के बीच मौजूद विवादों को सुलझाने और आपसी सहयोग को बढ़ाना है। चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान इसके स्थाई सदस्य हैं। इसे यूरोपीय देशों के समूह नाटो (NATO) का जवाब माना जाता है। चीन, रूस और भारत जैसे देशों की उपस्थिति इसे बेहद महत्वपूर्ण बनाती है।