
पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसानों को गन्ने की कीमत बढ़ने से क्यों नहीं होगा फायदा?
क्या है खबर?
किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के लिए एक बड़ी घोषणा की है। सरकार ने बुधवार को गन्ने के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी की।
हालांकि, इससे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड के किसानों पर अधिक लाभ नहीं मिलेगा। दूसरी तरफ महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों को गन्ने की कीमतों में इस बढ़ोतरी का लाभ मिल सकता है।
आइए इसका कारण जानते हैं।
फैसला
केंद्र सरकार ने क्या फैसला लिया है?
पहले गन्ने का प्रति क्विंटल खरीद मूल्य 315 रुपये था, जो अब 340 रुपये कर दिया गया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसकी जानकारी दी। नया FRP 10 फरवरी से प्रभावी होगा।
सरकार ने दावा किया कि इससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी और गन्ना किसानों और चीनी कारोबार से जुड़े लाखों लोगों को लाभ होगा।
सरकार ने कहा कि भारत के गन्ना किसानों को दुनिया में गन्ने की सबसे ज्यादा कीमत पहले से ही मिल रही है।
कारण
उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक के किसानों को क्यों नहीं होगा फायदा?
केंद्र सरकार द्वारा FRP में की गई वृद्धि से पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड के किसानों को कोई भी महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ नहीं होता दिख रहा।
दरअसल, इन राज्यों में राज्य सलाहकार मूल्य (SAP) का प्रावधान है, जो FRP से काफी ज्यादा है। वास्तव में यहां के किसान पहले से ही केंद्र द्वारा घोषित नई दर की तुलना में SAP के तहत लगभग 40-60 रुपये प्रति क्विंटल अधिक कमा रहे हैं।
लाभ
FRP की कीमतें बढ़ने से किन राज्यों को होगा लाभ?
FRP में वृद्धि से महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और बिहार के किसानों को लाभ पहुंचेगा क्योंकि यहां कोई अलग SAP मौजूद नहीं है।
देश में करीब 49.18 लाख हेक्टेयर से अधिक गन्ना उगाया जाता है और अकेले उत्तर प्रदेश का हिस्सा इसमें 45 प्रतिशत है। इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे अधिक गन्ने का उत्पादन होता है।
हालांकि, प्रति हेक्टेयर सबसे अधिक उपज के मामले में तमिलनाडु शीर्ष पर है, उसके बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र हैं।
परेशानी
चीनी मालिकों के लिए परेशानी क्यों?
इससे चीनी मिल के मालिकों पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव बढ़ेगा, जो पहले ही उच्च श्रम और ईंधन लागत से जूझ रहे हैं।
इस साल कर्नाटक और महाराष्ट्र में फसल उत्पादन कम हुआ था और उत्पादन पर 10-30 प्रतिशत का प्रभाव पड़ा है।
इस बार कुल चीनी उत्पादन पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत कम होने का अनुमान है, जो 3.7 करोड़ टन का था।
केंद्र द्वारा चीनी निर्यात पर लगे प्रतिबंध से भी चीनी मिल की परेशानियां बढ़ी हैं।
राजनीतिक लाभ
क्या सरकार के फैसले से गन्ना उद्योग को होगा लाभ?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के इस फैसले का लाभ लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। खासकर महाराष्ट्र के चीनी बेल्ट में जो अजित पवार का गढ़ माना जाता है।
FRP में वृद्धि कुछ राज्यों के किसानों को थोड़े समय के लिए राहत तो देगी, लेकिन यह गन्ना उद्योग के समक्ष आने वाली बड़ी चुनौतियों का समाधान करने में कारगर नहीं लगती, खासकर पंजाब, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लिए जहां SAP का प्रावधान है।
परिभाषा
FRP और SAP क्या होता है?
FRP, गन्ना नियंत्रण आदेश, 1966 के तहत स्थापित किया गया था, ताकि गन्ने के मूल्य को नियंत्रित किया जा सके। FRP एक तरह से चीनी मिलों द्वारा किसानों को उनकी गन्ना उपज के लिए भुगतान की जाने वाली न्यूनतम कीमत को दर्शाता है। FRP का मूल्य कई कारकों के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
राज्यों को अपना SAP निर्धारित करने का अधिकार है, जो आमतौर पर FRP से अधिक होता है।