
#NewsBytesExplainer: असम सरकार ने क्यों किया रद्द मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून?
क्या है खबर?
असम में मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 रद्द हो गया है।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि अब राज्य में मुस्लिम विवाह और तलाक 'विशेष विवाह अधिनियम' के तहत पंजीकृत होंगे और सभी मुस्लिम रजिस्ट्रार को कार्यमुक्त किया जाएगा।
इसे सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की ओर पहला कदम बताया है।
आइए जानते हैं कि इस कानून को क्यों रद्द किया गया और इससे क्या नुकसान था और अब क्या बदल जाएगा।
कानून
क्या था मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून?
मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून के तहत असम सरकार किसी भी व्यक्ति को मुस्लिम होने के नाते एक लाइसेंस देती थी। यह लाइसेंस रखने वाला शख्स मुस्लिम विवाह और तलाक को पंजीकृत करने के लिए अधिकृत था।
इसका मतलब है कि लाइसेंस रखने वाले मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति (मुस्लिम रजिस्ट्रार) को विवाह और तलाक कराने का पूरा अधिकार प्राप्त था।
उसे पंजीकरण करने के लिए सरकार से अनुमति लेने की भी कोई आवश्यकता नहीं थी।
कारण
सरकार ने क्यों रद्द किया कानून?
सरकार का तर्क है कि इस ब्रिटिशकालीन कानून की वर्तमान कोई आवश्यकता नहीं है। इसके जरिए मुस्लिम रजिस्ट्रार द्वारा शादी की उम्र न होने पर मुस्लिम जोड़ों के विवाह का पंजीकरण किया जा रहा था।
सरकार ने कहा कि इस कानून के रद्द होने से राज्य में बाल विवाह को रोकने में भी मदद मिलेगी। भारतीय कानून के अनुसार, शादी के लिए लड़की की उम्र 21 और लड़की की उम्र 18 साल होना जरूरी है।
क्या बदल जाएगा
कानून रद्द होने के बाद क्या बदल जाएगा?
इस कानून के रद्द होने के बाद असम में अब योग्य मुस्लिम जोड़े ही विवाह और तलाक का पंजीकरण करवा पाएंगे। नई व्यवस्था के तहत जिला आयुक्त और जिला रजिस्ट्रार को द्वारा सभी मामलों को विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जाएगा।
सरकार ने वर्तमान में कार्यरत 94 मुस्लिम विवाह रजिस्ट्रारों को कार्यमुक्त करते हुए उनके सारे रिकॉर्ड अपने कब्जे में ले लिए हैं। इन सभी रजिस्ट्रारों को पुनर्वास के लिए 2-2 लाख रुपये का एकमुश्त मुआवजा दिया जाएगा।
मंशा
क्या है असम सरकार की मंशा?
असम सरकार राज्य में बहुविवाह प्रथा पर रोक लगाने की कोशिश में है। मुस्लिम पर्सनल लॉ में मुस्लिमों को बहुविवाह की छूट है, लेकिन पंजीकरण अपने हाथों में लेने से सरकार को मुस्लिमों के बहुविवाह को रोकने में मदद मिलेगी।
हाल में राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए एक आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी जिनकी पत्नी या पति जीवित है, वो सरकार की अनुमति के बिना दूसरी शादी नहीं कर सकता।
UCC
क्या असम सरकार की UCC लागू करने की तैयारी?
असम सरकार में मंत्री जयंत मल्लाबारूआ ने कहा कि वह जल्द ही राज्य में UCC लागू करने जा रहे हैं और इस कड़ी में सरकार ने मुस्लिम विवाह और तलाक कानून को रद्द करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और गुजरात के बाद UCC लागू करने वाला असम तीसरा राज्य होगा और सरकार ने उस दिशा में अपना कदम बढ़ा दिया है और जल्द UCC विधेयक को कैबिनेट में रखा जाएगा।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
UCC का मतलब है, देश के सभी वर्गों पर एक समान कानून लागू होना। अभी देश में विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वह उन्हीं के मुताबिक चलते हैं।
UCC लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों को इन मुद्दों पर भी एक जैसे कानून का पालन करना होगा। यह महज एक अवधारणा है और विस्तार में इसका रूप कैसा होगा, यह अभी राज्य सरकार के विवेक पर निर्भर है।