दुनियाभर के इंटरनेट से कटने पर विचार कर रहा है रूस
अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो रूस कुछ समय के लिए इंटरनेट से अलग हो सकता है। वहां की सरकार अपनी साइबर सुरक्षा को जांचने के लिए इंटरनेट से अलग होने पर विचार कर रही है। इसका मतलब यह होगा कि इतने समय के लिए रूसी नागरिकों और संगठनों का डाटा देश के बाहर जाने की बजाय देश के अंदर ही रहेगा। इससे संबंधित एक कानून का मसौदा पिछले साल देश की संसद में पेश किया गया था।
अपना DNS बनाने का भी प्रस्ताव
मसौदे में रूस का खुद का नेट एड्रेस सिस्टम (DNS) बनाने का प्रस्ताव भी है, जिससे कि वह बाहरी सर्वरों से लिंक कटने की स्थिति में भी काम कर सके। अभी 12 विदेशी संगठन DNS के रूट सर्वर का काम देखते हैं। हालांकि, नेट की कोर एड्रेस बुक की कई कॉपी रुस में पहले से ही मौजूद हैं। इसलिए अगर रूस को ऑनलाइन काटने की कोशिश भी की जाती है तो इनकी मदद से उसका सिस्टम चालू रह सकता है।
भविष्य के खतरे के लिए तैयारी
इस परीक्षण के लिए वैसे तो कोई भी तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन इसके 1 अप्रैल से पहले होने की संभावना है। प्रस्तावित कानून के मसौदे को 'डिजिटल इकोनॉमी नेशनल प्रोग्राम' का नाम दिया गया है। मसौदे के अनुसार, इस परीक्षण के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि रूस के ISPs विदेशी ताकतों के देश को ऑनलाइन अलग-थलग करने की स्थिति में काम कर सकते हैं या नहीं।
चीन की तरह सेंसरशिप सिस्टम बनाने की आशंका
परीक्षण में यह भी देखा जाएगा कि क्या ISPs डाटा को सरकारी नियंत्रण वाले रूटिंग पॉइंट की तरफ भेज सकते हैं। इसमें ट्रैफिक को फिल्टर किया जाएगा, ताकि रुसियों के बीच भेजा गया डाटा लक्ष्य तक पहुंच सके और किसी बाहरी कंप्यूटर को भेजा गया डाटा रोका जा सके। सरकार चाहती है कि आखिर में सारा डाटा उसके रूटिंग पॉइंट से होकर गुजरे। इसे चीन की तरह बड़ा सेंसरशिप सिस्टम बनाने की कोशिश के तौर भी देखा जा रहा है।
नाटो ने दी थी रूस को धमकी
देश के ISPs इस प्रस्तावित कानून के लक्ष्य को लेकर सहमत हैं, लेकिन इसे कैसे किया जाए, इस पर मतभेद है। उनका मानना है कि इस परीक्षण से रूस के इंटरनेट ट्रैफिक में बड़ा व्यवधान पड़ेगा। रूसी सरकार ISPs को उनके ढांचे में बदलाव के लिए पैसे भी दे रही है, ताकि परीक्षण ठीक तरीके से हो सके। बता दें कि नाटो और उसके सहयोगियों ने रूस पर साइबर हमलों का आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी।