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    9/11 आतंकी हमले की बरसी पर अफगानिस्तान में अमेरिकी दूतावास में विस्फोट

    9/11 आतंकी हमले की बरसी पर अफगानिस्तान में अमेरिकी दूतावास में विस्फोट

    लेखन मुकुल तोमर
    Sep 11, 2019
    12:05 pm

    क्या है खबर?

    9/11 आतंकी हमले की बरसी पर अफगानिस्तान के काबुल में अमेरिकी दूतावास में एक रॉकेट के फटने से जोरदार धमाका हुआ है।

    बुधवार आधी रात के बाद हुए इस धमाके में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

    ये धमाका ऐसे समय पर हुआ है कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तालिबान के साथ शांति वार्ता रद्द कर दी है और क्षेत्र के भविष्य को लेकर संशय बना हुआ है।

    घटना

    लाउटस्पीकर के जरिए कर्मचारियों को दी गई धमाके की जानकारी

    अमेरिकी दूतावास के पास ही स्थित नाटो (NATO) मिशन ने धमाके में किसी के हताहत न होने की पुष्टि की है।

    अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी AP के अनुसार, धमाके के बाद दूतावास में लाउडस्पीकर के लिए जरिए कर्माचारियों को रॉकेट में विस्फोट की जानकारी दी गई।

    प्रत्यक्षदर्शियों ने धमाके की जगह के पास धुंए का गुबार देखे जाने की बात कही है।

    अफगानिस्तान में अमेरिकी अधिकारियों ने अभी तक मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया है।

    9/11 आतंकी हमला

    क्या हुआ था 9/11 आतंकी हमले में?

    9 सितंबर 2001 को ओसामा बिन लादेन के आतंकी संगठन अलकायदा ने हाइजैक किए गए चार अमेरिकी यात्री विमानों से दुनिया के सबसे बड़े आतंकी हमले को अंजाम दिया था।

    इनमें से दो विमान न्यूयॉर्क के प्रसिद्ध वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से टकराए थे और देखते-देखते ही आसमान को छूती ये इमारतें जमीन में मिल गई।

    तीसरे विमान से पेंटागन पर हमला किया गया।

    वहीं, चौथे विमान से वाशिंगटन DC पर हमला करना था, लेकिन ये रास्ते में ही गिर गया।

    जानकारी

    9/11 आतंकी हमले के कारण ही अफगानिस्तान में हैं अमेरिकी सेनाएं

    आमतौर पर 9/11 आतंकी हमले के नाम से चर्चित इस हमले में लगभग 3,000 लोगों की मौत हुई थी। इसी हमले के बाद अमेरिका ने 'आतंक के खिलाफ युद्ध' की घोषणा की थी, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका की सेना अफगानिस्तान में है।

    शांति वार्ता

    इसलिए महत्वपूर्ण थी तालिबान के साथ शांति वार्ता

    लादेन को ढूढ़ते हुए अफगानिस्तान आया अमेरिका यहां फंस कर रह गया है और 18 साल से जारी इस लड़ाई में उसे बहुत नुकसान हुआ है।

    इसी कारण ट्रम्प अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी चाहते हैं।

    अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान के अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा करने की आशंका है और ऐसा होना अमेरिका के लिए मुश्किलें खड़ी कर देता।

    इसी कारण से तालिबान के साथ शांति वार्ता की जा रही थी।

    शांति वार्ता रद्द

    पिछले हफ्ते ट्रम्प ने रद्द की शांति वार्ता

    लेकिन पिछले हफ्ते एक कार विस्फोट में नाटो मिशन के 2 सदस्यों और एक अमेरिकी सैनिक की मौत के बाद ट्रम्प ने तालिबान के साथ शांति वार्ता को रद्द कर दिया।

    अफगानिस्तान में तैनात 14,000 सैनिकों ने उनके इस फैसले की आलोचना करते हुए हास्यास्पद बताया था।

    मामले की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों ने भी ट्रम्प के इस फैसले की अलोचना करते हुए इसके बाद अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ने की आशंका जताई है।

    तालिबान प्रतिक्रिया

    तालिबान ने ली अमेरिकी सेना के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की शपथ

    वहीं ट्रम्प के इस फैसले के बाद तालिबान ने मंगलवार को अमेरिकी सेना के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने की शपथ ली।

    अलजजीरा को दिए गए बयान में तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अमेरिका शांति वार्ता पर पीछे हटने के अपने फैसले पर पछताएगा।

    उन्होंने कहा कि हमारे पास अफगानिस्तान में कब्जा खत्म करने के दो तरीके थे और ट्रम्प बातचीत बंद करना चाहते हैं तो हमें जिहाद करना पड़ेगा।

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