इजरायली बंधकों को छुड़ाने के लिए हमास से बातचीत कर सकते हैं रूसी उप विदेशमंत्री -रिपोर्ट
क्या है खबर?
इजरायल-हमास युद्ध में अब तक 3,200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। हमास के लड़ाकों ने अभी भी करीब 150 इजरायलियों को बंधक बना रखा है।
अब खबर है कि इन बंधकों को छुड़ाने के लिए रूस राजनयिक स्तर पर मध्यस्थता कर सकता है। रूस के उप विदेश मंत्री अगले हफ्ते कतर में हमास के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर सकते हैं। इनमें बंधकों की रिहाई को लेकर चर्चा हो सकती है।
कतर
कतर में हो सकती है हमास और रूस की मुलाकात
रूस की राज्य समाचार एजेंसी RIA के मुताबिक, रूस के उप विदेश मंत्री मिखाइल बोगदानोव अगले हफ्ते कतर जा सकते हैं। यहां वे हमास के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर सकते हैं।
बोगदानोव ने कहा, "मैं कतर जा रहा हूं। आमतौर पर मैं जब भी कतर जाता हूं तो हमास के लोगों से मिलता हूं। मौजूदा स्थिति में यह बैठक बंधकों की रिहाई समेत कई व्यवहारिक मुद्दों को हल करने के लिए उपयोगी साबित हो सकती है।"
देश
कई और देश भी कर रहे हैं मध्यस्थता की कोशिश
अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि कई और देश भी इजरायली बंधकों को छुड़ाने के लिए मध्यस्थता की कोशिश कर रहे हैं। इनमें कतर और मिस्र का नाम शामिल हैं।
संभावना जताई जा रही है कि हमास बंधकों की रिहाई के बदले इजरायल की जेल में बंद फिलिस्तीन के लोगों की रिहाई की मांग रख सकता है।
पहले भी हमास ने एक इजरायली सैनिक को रिहा करने के बदले कई फिलिस्तीनी लोगों को रिहा करवाया था।
चेतावनी
हमास ने दी है हमले के बदले बंधकों को मारने की चेतावनी
बता दें हमास ने इजरायल को चेतावनी दी है कि उसके हर एक हवाई हमले के बदले वो बंधकों को मौत के घाट उतारेगा। हालांकि, अभी तक हमास द्वारा किसी भी बंधक को मारे जाने की खबर नहीं है।
दूसरी ओर, हमास ने दावा किया है कि इजरायल के हवाई हमले में 13 बंधकों की मौत हो गई है। अभी तक इजरायल को कोई जानकारी नहीं है कि हमास ने बंधकों को कहां रखा है।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
हमास एक फिलिस्तीनी आतंकी संगठन और एक राजनीतिक पार्टी है। ये शब्द अरबी के 'हरकत अल मुकावामा अल इस्लामिया' से मिलकर बना है, जिसका मतलब इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन होता है।
इसकी स्थापना 1987 में इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन के पहले विद्रोह के दौरान मौलवी शेख अहमद यासीन ने की थी।
ये न सिर्फ एक चरमपंथी संगठन है, बल्कि राजनीति में भी सक्रिय है। इसे अमेरिका, इजरायल और ब्रिटेन समेत कई देश आतंकवादी संगठन मानते हैं।