रूस पर भारत की निर्भरता कम करने के लिए हर मदद को तैयार अमेरिका- व्हाइट हाउस
क्या है खबर?
अमेरिका ने एक बार फिर भारत के रूस के साथ व्यापार पर आपत्ति जताई है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि अमेरिका नहीं चाहता कि भारत इस समय रूस से ऊर्जा और दूसरे सामान का आयात बढाए, भले ही वह उसके कुल आयात का 1-2 प्रतिशत ही क्यों न हो।
उन्होंने कहा कि भारत अगर आयात के विकल्पों की तलाश कर रहा है तो अमेरिका उसकी हर मदद करने को तैयार है।
पृष्ठभूमि
अमेरिका ने रूस पर लगाए हैं कड़े प्रतिबंध
रूस ने फरवरी में यूक्रेन पर आक्रमण की शुरुआत की थी। लगभग छह सप्ताह से दोनों देशो के बीच युद्ध जारी है और हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
इसे लेकर अमेरिका समेत कई देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। रूस फिलहाल सबसे ज्यादा प्रतिबंध झेलने वाला देश बना हुआ है।
अमेरिका ने चेतावनी दी है कि अगर कोई देश इन प्रतिबंधों को कमजोर करने की कोशिश करेगा तो उसे नतीजा भुगतना पड़ेगा।
सवाल
क्या स्थायी राजदूत की खल रही कमी?
साकी से सवाल किया गया था कि क्या नई दिल्ली में स्थायी राजदूत न होने के कारण भारत को रूस के खिलाफ एक मंच पर लाने में परेशानी हो रही है?
इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह को भारत भेजना दिखाता है कि अमेरिका बातचीत के लिए अलग-अलग माध्यमों का इस्तेमाल कर रहा है।
गौरतलब है कि फिलहाल भारत में अमेरिका का कोई स्थायी राजदूत नहीं है।
चेतावनी
प्रतिबंधों के उल्लंघन पर भुगतने पड़ेंगे नतीजे- अमेरिका
साकी ने कहा कि सिंह पिछले हफ्ते ही भारत में थे और उन्होंने साफ तौर पर बताया था कि प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के नतीजे क्या होंगे और यह कैसे काम करेंगे।
बता दें कि सिंह ने कहा था कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को दरकिनार करने वाले देशों को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
उन्होंने यह भी कहा था कि अगर चीन दोबारा LAC का उल्लंघन करता है तो रूस भारत की मदद के लिए नहीं आएगा।
जानकारी
रक्षा खरीद में रूस का स्थान लेने को तैयार अमेरिका- ऑस्टिन
इससे पहले मंगलवार को अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा था कि भारत को रूस से अपनी रक्षा खरीद की निर्भरता को कम करना चाहिए। अमेरिका इस मामले में रूस का स्थान लेने को तैयार है।
जानकारी
भारत ने किया है अपने फैसलों का बचाव
भारत ने रूस से कारोबार जारी रखने के अपने फैसलों का बचाव किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि युद्ध शुरू होने के बाद यूरोपीय देशों ने रूस से आयात बढ़ाया है, जबकि भारत अपनी जरूरत का बहुत कम हिस्सा ही आयात करता है।
जानकारी के लिए बता दें कि प्रतिबंध झेल रहे रूस ने भारत को कम कीमत पर कच्चे तेल की पेशकश की थी, जिसे भारत ने स्वीकार करते हुए बड़ा ऑर्डर दिया है।