यूक्रेन पर आक्रमण: NATO ने दी कड़ी प्रतिक्रिया, रूस से सैन्य अभियान रोकने को कहा
यूक्रेन में जारी रूस के सैन्य अभियान पर नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। NATO महासचिव जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने कहा कि उनका संगठन यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की कड़ी निंदा करता है। रूस को अपना सैन्य अभियान रोकते हुए यूक्रेन से कदम वापस खींच लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि तानाशाही पर हमेशा लोकतंत्र और दमन पर हमेशा आजादी की जीत होगी। फिलहाल NATO ने यूक्रेन में सेना न भेजने का फैसला किया है।
यूक्रेन के साथ खड़ा है NATO- महासचिव
स्टोल्टनबर्ग ने कहा, "हमारे एयर स्पेस की सुरक्षा के लिए हमारे पास 100 से अधिक लड़ाकू विमान और उत्तर से लेकर भूमध्य सागर तक 120 समुद्री जहाज है। हम आक्रमण के खिलाफ गठबंधन की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठएंगे। आगे की रणनीति बनाने के लिए NATO के नेता कल बैठक करेंगे।" उन्होंने आगे कहा कि NATO यूक्रेन के साथ खड़ा है और गठबंधन के सहयोगी रूस पर गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगा रहे हैं।
पूर्वी यूरोप में तैनाती बढ़ाएगा NATO
स्टोल्टनबर्ग ने बताया कि NATO सहयोगियों ने पिछले कुछ समय से यूक्रेन को सैन्य मदद दी है और उसे पहले से मजबूत और प्रशिक्षित सेना बनाने में सहयोग किया है। सभी सहयोगी मिलकर यूक्रेन पर रूस के बड़े स्तर के आक्रमण की निंदा करते हैं और संदेश दे रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय नियमों का क्रूर उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अपने संबोधन में उन्होंने NATO क्षेत्र के पूर्वी हिस्से में तैनाती बढ़ाने का भी ऐलान किया है।
मौजूदा तनाव की बड़ी वजह है NATO
NATO महासचिव ने कहा, "आज हम डिफेंस प्लान सक्रिय कर रहे हैं, जिससे हमारे सैन्य कमांडरों को जरूरत पड़ने पर सेना तैनाती को लेकर और अधिकार मिल जाएंगे।" जानकारी के लिए बता दें कि यूक्रेन को लेकर इस विवाद के पीछे NATO को सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है, जिसे रूस अपने सबसे बड़े दुश्मनों में से एक मानता है। यूक्रेन NATO में शामिल होना चाहता है, लेकिन रूस ऐसा होने देने के लिए तैयार नहीं है।
रूस के NATO से चिढ़ने की वजह क्या है?
दरअसल, NATO का गठन रूस (तब सोवियत संघ) को देखते हुए ही किया गया था और इसका सबसे प्रमुख लक्ष्य सोवियत संघ के विस्तार को रोकना था। जिस समय NATO का गठन हुआ, वो शीत युद्ध की शुरूआत का समय था और दुनिया अमेरिका और सोवियंत के दो धड़ों में बंटी हुई थी। NATO के तहत सोवियत संघ के आसपास कई सैन्य ठिकाने बनाए गए जो सैन्य संघर्ष की स्थिति में निर्णायक साबित हो सकते थे।
यूक्रेन को लेकर विवाद का NATO से क्या संबंध?
1991 में जब सोवियत संघ का 15 नए देशों में विघटन हुआ तो दुनिया एकध्रुवीय रह गई और अमेरिका एकमात्र सुपरपॉवर बचा। उसके नेतृत्व में सोवियत संघ से टूटकर बने कई देश NATO में शामिल हुए और इस तरह NATO के सैन्य ठिकाने रूस के बिल्कुल पास आ गए। अब रूस के साथ सीमा साझा करने वाला यूक्रेन भी NATO में शामिल होना चाहता है। ऐसा होने से रूस पूरी तरह NATO से घिर जाएगा जो वो बिल्कुल नहीं चाहता।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
NATO अमेरिका और उसके सहयोगियों का एक सैन्य गठबंधन है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल, 1949 को एक संधि के जरिए इसका गठन किया गया था। अमेरिका, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK) समेत कुल 12 देशों ने इसकी स्थापना की थी। अभी इसके सदस्यों की संख्या 30 है। NATO का सबसे प्रमुख प्रावधान ये है कि अगर कोई इनमें से किसी एक देश पर हमला करता है तो इसे सभी देशों पर हमला माना जाएगा।