श्रीलंका: आपातकाल हटाया गया, सरकार ने किया साफ- इस्तीफा नहीं देंगे राष्ट्रपति
क्या है खबर?
अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में आपातकाल हटा दिया गया है। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने गुरूवार रात को तत्काल प्रभाव से आपातकाल हटाने का आदेश जारी किया।
बढ़ते विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए उन्होंने 1 अप्रैल को देश में आपातकाल लगाया था और इसमें देश में किसी भी तरह की अशांति को रोकने के लिए सुरक्षा बलों को विशेषाधिकार दिए गए थे।
उन्होंने आपातकाल के साथ-साथ कर्फ्यू भी लगाया था।
राजनीतिक संकट
गहराता जा रहा राजनीतिक संकट, राष्ट्रपति के खिलाफ सड़कों पर लोग
राजपक्षे ने आपातकाल हटाने का ये आदेश ऐसे समय पर जारी किया है जब देश में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है।
आम लोग और विपक्षी पार्टियां देश के आर्थिक संकट के लिए राजपक्षे और उनके परिवार को दोषी ठहरा रहे हैं और उनका इस्तीफा मांग रहे हैं।
बीते कई दिन से देशभर में प्रदर्शन जारी हैं और लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं। देश में चल रही दवाइयों की कमी के चलते डॉक्टर भी इसमें शामिल हो गए हैं।
आंकड़े
41 सांसदों के समर्थन वापस लेने के बाद सरकार ने खोया बहुमत
राष्ट्रपति राजपक्षे ने देश की संसद में बहुमत भी खो दिया है और वो अल्पमत में आ गई है। मंगलवार को 41 सांसदों के सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर निकलने के कारण सरकार अल्पमत में आई है।
225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में अब सत्तारूढ़ गठबंधन के पास महज 109 सांसद हैं जो 113 सीटों के बहुमत के आंकड़े से पांच कम हैं।
इन आंकड़ों के बावजूद सरकार ने बहुमत में होने का दावा किया है।
बयान
सरकार ने किया साफ- इस्तीफा नहीं देंगे राष्ट्रपति
बहुमत खोने और इस्तीफे की मांगों के बीच सरकार ने साफ किया है कि राष्ट्रपति राजपक्षे इस्तीफा नहीं देंगे।
हाईवे मंत्री जॉनस्टन फर्नांडो ने बुधवार को कहा, "मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि 69 लाख लोगों ने राष्ट्रपति के लिए वोट किया था। सरकार के तौर पर हम साफ कह रहे हैं कि राष्ट्रपति किसी भी परिस्थिति में इस्तीफा नहीं देंगे। हम इसका सामना करेंगे।"
विपक्ष ने संसद को अधिक शक्तियां देने की मांग भी की है।
स्थिति
श्रीलंका में क्या स्थिति?
गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा खत्म हो चुकी है और वह जरूरी चीजें आयात नहीं कर पा रहा। देश में डीजल खत्म हो गया था, जिससे वाहन चलना बंद हो गए और कई दूसरी सेवाओं पर भी असर पड़ा।
पर्याप्त उत्पादन न होने के चलते बिजली संकट भी गहरा रहा है और 13 घंटे का पावर कट हो रहा है।
महंगाई चरम पर है और आम जरूरत की चीजें बेहद महंगी बिक रही हैं।
आर्थिक संकट
इस स्थिति में कैसे पहुंचा श्रीलंका?
श्रीलंका में 2016 से ही स्थिति खराब होने लगी थी। तब भयंकर सूखे के कारण किसानों की कमर टूट गई थी। इसके बाद 2019 में चर्चों में सिलेसिलेवार बम धमाकों में करीब 300 लोगों की मौत हुई थी। इसका पर्यटन पर भारी असर पड़ा।
2020 में कोरोना महामारी से हालात बदतर हो गए और पर्यटन पूरी तरह ठप पड़ गया।
अधिक सरकारी खर्च, टैक्स में कटौती के कारण सरकार की आमदनी में गिरावट और जैविक खेती भी इसका कारण है।