अफगानिस्तान में कल नई सरकार का गठन करेगा तालिबान, हिब्तुल्लाह को बनाया जा सकता है प्रमुख
तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा जमाए हुए दो सप्ताह से अधिक समय हो गया है। अमेरिका ने भी अफगानिस्तान को पूरी तरह से खाली कर दिया है। इसके साथ ही तालिबान ने नई सरकार बनाने की सभी तैयारी पूरी कर ली है और उम्मीद जताई जा रही है कि वह शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद नई सरकार का ऐलान का कर सकता है। इसके बाद तालिबान के लिए सबसे बड़ी चुनौती अन्य देशों का समर्थन हासिल करना होगा।
तालिबान ने 15 अगस्त को किया अफगानिस्तान पर कब्जा
तालिबान ने अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही अफगानिस्तान पर हमले तेज कर दिए थे और गत 15 अगस्त को कब्जा जमा लिया था। उसके बाद से तालिबान नई सरकार के गठन में लगा हुआ है। तालिबान के शासन के कारण हजारों अफगानी लोग देश छोड़कर जाने की जुगत में जुटे रहे हैं, हालांकि अब काबुल हवाई अड्डे के बाहर लोगों की भीड़ कम हो गई है। तालिबान लगातार देशों से खुद का मान्यता देने की कहा रहा है।
सोमवार को अफगानिस्तान से लौट गया अमेरिका
सोमवार को काबुल हवाई अड्डे से आखिरी अमेरिकी विमान ने उड़ान भरी और इसी के साथ अमेरिका का दो दशक का सैन्य अभियान खत्म हो गया। मेजर जनरल क्रिस डोनाह्यु आखिरी अमेरिकी सैन्य अधिकारी थे, जो काबुल से विमान में सवार हुए। अमेरिका ने 31 अगस्त की समयसीमा से एक दिन पहले ही अपना सैन्य अभियान खत्म कर दिया है। दूसरी तरफ तालिबान ने कहा कि अमेरिका के लौटने के साथ ही अफगानिस्तान को 'पूर्ण आजादी' मिल गई है।
हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को बनाया जा सकता है सरकार का प्रमुख
इधर, तालिबान ने कहा है कि नई सरकार बनाने पर चर्चा को अंतिम रूप दे दिया गया है और जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी। तालिबान के शीर्ष नेता मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा कथित तौर पर अफगानिस्तान में नई सरकार के प्रमुख होंगे। तालिबान ने नई सरकार के गठन की घोषणा अमेरिका द्वारा अपने दो दशक लंबे 'आतंक के खिलाफ युद्ध' को समाप्त करने और अपने सैनिकों की पूर्ण वापसी को करने के तीन दिन बाद की है।
"परामर्श को अंतिम रूप दिया, लोगों के लिए मॉडल बनेगी नई सरकार"
तालिबान के नेता अनामुल्ला समांगनी ने कहा कि नई सरकार और कैबिनेट पर विचार-विमर्श लगभग तय हो चुका है। तालिबान की इस्लामिक सरकार देश के लोगों के लिए एक मॉडल का रूप होगी। उन्होंने कहा कि हिबतुल्ला अखुंदजादा ही सरकार के नेता होंगे।
अखुंदजादा के अधीन रहेंगे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति- रिपोर्ट
तालिबान की नई सरकार में शासन संरचना को लेकर अभी तक ज्यादा कुछ स्पष्ट नहीं है। इसके बाद भी कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि अखुंदजादा के नीचे एक प्रधानमंत्री और एक राष्ट्रपति पद भी होगा। एक विश्लेषक ने कहा कि नई व्यवस्था न तो गणतंत्र होगी और न ही अमीरात बल्कि इस्लामी सरकार की तरह होगी। "हिबतुल्लाह अफगानिस्तान के नेता होंगे ... उनके नीचे ... एक प्रधान मंत्री या राष्ट्रपति होगा जो उनकी निगरानी में काम करेंगे।"
कौन हैं मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा?
मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबान का सर्वोच्च नेता है। उन्होंने कभी कोई सार्वजनिक उपस्थिति नहीं दिखाई है और वह हमेशा से ही लोगों की नजरों से दूर रहे हैं। 2016 में अमेरिकी ड्रोन हमले में उनके पूर्ववर्ती मुल्ला मंसूर अख्तर के मारे जाने के बाद अखुंदजादा को तालिबान का नेता नियुक्त किया गया था। अख्तर की हत्या के बाद कुछ समय के लिए अलग हो जाने के बाद उन्हें समूह को एकजुट करने की चुनौती दी गई थी।
तालिबान ने की पुलिस प्रमुखों, राज्यपालों और महापौरों की नियुक्ति
इधर, तालिबान ने अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में पुलिस प्रमुखों, कार्यवाहक सरकारी मंत्रियों, लगभग सभी प्रांतीय राज्यपालों और कई शहरों के मेयरों की भी नियुक्त की है। तालिबान के एक सदस्य ने कहा, "इस्लामिक अमीरात हर प्रांत में सक्रिय है। हर प्रांत में एक राज्यपाल होता है। हर जिले के लिए एक जिला गवर्नर होता है और हर प्रांत में पुलिस प्रमुख होता है।" तालिबान ने कहा था कि फिलहाल ये सभी नियुक्तियां अस्थायी तौर पर की गई है।
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में है अनिश्चितता का माहौल
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से ही वहां पर अनिश्चितता बढ़ गई है। इसका कारण है कि कई शिक्षित और सक्षम अफगान प्रतिशोध के डर से देश छोड़कर भाग गए हैं। जनशक्ति की कमी के कारण तालिबान भी सरकारी तंत्र को चालू रखने के लिए जूझ रहा है। दैनिक आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के साथ, अफगानी लोग नौकरी, कमाई या हाथ में नकदी के साथ अपना पेट भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
तालिबान ने किया समावेशी सरकार बनाने का वादा
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने ने देश में "समावेशी सरकार" बनाने के लिए अफगान राजनेताओं के साथ चर्चा की। पहले यह भी बताया गया था कि तालिबान की "समावेशी कार्यवाहक सरकार" में सभी जातियों और आदिवासी पृष्ठभूमि के नेता शामिल होंगे। जबकि तालिबान का दावा है कि सरकार के गठन पर परामर्श को अंतिम रूप दिया गया है। हालांकि, सरकार के नाम, राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रगान पर सार्वजनिक चर्चा नहीं हुई है।