अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के लिए 31 अगस्त क्यों निर्धारित है?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को कहा कि 31 अगस्त तक सभी अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से निकाल लिया जाएगा। आतंकी हमलों के खतरों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह काम जितना जल्दी हो, उतना बेहतर है। दूसरी तरफ तालिबान ने भी चेतावनी दी है कि अगर अमेरिकी सेना 31 अगस्त तक देश नहीं छोड़ती है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। ऐसे में जानना जरूरी है कि 31 अगस्त का इतना दबाव क्यों है?
ट्रंप ने पिछले साल तालिबान के साथ किया था समझौता
पिछले साल फरवरी में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान के साथ समझौता किया था कि 1 मई, 2021 को अमेरिका अपनी पूरी सेना को अफगानिस्तान से निकाल लेगा। इस साल जनवरी में राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडन ने इस समयसीमा की समीक्षा का फैसला किया। 14 अप्रैल को उन्होंने समयसीमा को चार महीने आगे बढ़ाते हुए कहा कि 9/11 हमले की 20वीं बरसी से पहले अमेरिकी और NATO सैनिक अफगानिस्तान छोड़ देंगे।
बाइडन ने तय की थी तारीख
बाइडन की इस योजना में 2,500 अमेरिकी, कई हजार NATO सैनिक और करीब 16,000 ठेकेदारों को अफगानिस्तान से निकालना शामिल था। फिर इस साल जुलाई में बाइडन ने तारीख तय करते हुए कहा कि इस साल 31 अगस्त को अफगानिस्तान में अमेरिका का सैन्य अभियान समाप्त हो जाएगा। समय बढाने के पीछे अमेरिका की मंशा अफगानिस्तान सरकार को तालिबान के खिलाफ अपनी लड़ाई को मजबूती देने के लिए वक्त देने की थी।
अमेरिका के अनुमान से पहले ही हथियार छोड़ गई अफगान सेना
अमेरिका और उसके सहयोगियों को उम्मीद थी कि उनके जाने के बाद अगर अफगानिस्तान की सेना तालिबान को आगे बढ़ने से रोक नहीं पाई तो कम से कम उसकी रफ्तार धीमी कर देगी। अमेरिका की खुफिया एजेंसियों का अनुमान था कि विदेशी सैनिकों की वापसी के कम से कम छह महीने बाद तक अफगान सेना तालिबान का सामना कर सकती है। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ और अफगान सेना ने कुछ ही दिनों में हथियार डाल दिए।
अफगानिस्तान से निकाले जा चुके हैं 71,000 लोग
एक के बाद एक शहरों पर कब्जा करते हुए इस महीने के मध्य तक तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया। इसके बाद स्थानीय और विदेशी नागरिक जल्द से जल्द अफगानिस्तान छोड़ने की कोशिशों में जुट गए। 14 अगस्त को अमेरिकी सैनिकों ने काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को अपने नियंत्रण में ले लिया और निकासी अभियान शुरू किया। मंगलवार तक अमेरिका और दूसरे देश 71,000 लोगों को अफगानिस्तान से निकाल चुके हैं।
अभी भी हजारों लोग काबुल हवाई अड्डे के आसपास मौजूद
इतने बड़े अभियान के बाद अभी भी हजारों की संख्या में लोग हवाई अड्डे के अंदर और बाहर देश छोड़ने के इंतजार में बैठे हुए हैं। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि उसे 31 अगस्त से पहले ही लोगों को निकालने का अभियान बंद करना पड़ेगा क्योंकि उसे अपने 6,000 सैनिकों और उपकरणों को निकालने के लिए भी समय चाहिए। दूसरी तरफ इसे लेकर भी चिंता बढ़ रही है कि 31 अगस्त तक यह अभियान पूरा नहीं होगा।
कई देशों ने की निकासी अभियान का समय बढ़ाने की मांग
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के अधिकारियों का कहना है कि 31 अगस्त तक काबुल हवाई अड्डे से निकासी अभियान पूरा नहीं हो पाएगा, इसलिए अमेरिका को कुछ और समय तक अपने सैनिकों को तैनात रखना चाहिए। इसे लेकर G7 देशों ने मंगलवार को बैठक की थी, लेकिन इसी दौरान तालिबान की तरफ से चेतावनी आ गई कि अगर 31 अगस्त तक विदेशी सैनिकों की वापसी नहीं होती है तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।