अफगानिस्तान: संयुक्त राष्ट्र ने खाद्य संकट को लेकर चेताया, इस महीने खत्म हो सकता है भंडार
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान को एक महीने के भीतर खाद्य संकट का सामना करना पड़ सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने चेताते हुए कहा कि अफगानिस्तान में इस महीने खाद्य भंडार खत्म हो सकता है, जिसके बाद एक तिहाई आबादी का खाद्य संकट झेलना पड़ सकता है। बता दें कि पिछले महीने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान अभी तक अपनी सरकार का गठन नहीं कर पाया है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
एक तिहाई आबादी के सामने 'आपातकालीन' स्तर की खाद्य असुरक्षा
अफगानिस्तान में UN के कॉर्डिनेटर रमीज अलकबारोव ने बताया कि 3.8 करोड़ आबादी में से एक तिहाई 'आपातकालीन' स्तर की खाद्य असुरक्षा झेल रही है। अभी पड़ रहे सूखे और आगे सर्दियों के मौसम के देखते हुए लोगों को खाना खिलाने के लिए और अधिक पैसों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस काम के लिए 1.2 बिलियन डॉलर की जरूरत है, लेकिन अभी तक इसमें से केवल 39 प्रतिशत मदद ही मिली है।
इस महीने के अंत में खत्म हो सकता है भंडार- UN
पिछले कुछ दिनों से वर्ल्ड फूड प्रोग्राम हजारों लोगों को खाना वितरित कर रहा है, लेकिन अलकबारोव का कहना है कि अतिरिक्त मदद के बिना अफगानिस्तान में खाद्य पदार्थों का भंडार इस महीने के अंत तक खत्म हो जाएगा। अफगानिस्तान काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर है और तालिबान के आने के बाद यह मदद रुक गई है। इस कारण पहले से जारी संकट और गहरा गया है। इसके अलावा विदेशों में जमा रिजर्व भी फ्रीज हो चुका है।
50 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं खाद्य पदार्थों के दाम
अलकबारोव ने कहा कि मानवीय नजरिये से अफगानिस्तान में स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है और देश के आधे से अधिक बच्चे अपना अगला भोजन पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विदेशी मदद रुकने से सरकारी सेवाएं ठप्प हो गई हैं और कर्मचारियों को उनका वेतन नहीं मिला है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पिछले दो हफ्तों से तालिबान में खाने की चीजों के दाम 50 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
अफगानी मुद्रा भी कमजोर
अमेरिका ने तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक की करीब 9.5 अरब डॉलर की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है। इसके अलावा विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी अफगानिस्तान को मिलने वाली मदद पर रोक लगा दी है। इन सबका असर अफगानी मुद्रा पर पड़ा है और इसमें रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है। साथ ही आटा, चावल, तेल और दाल आदि के दाम दो हफ्तों में काफी बढ़ चुके हैं।
काबुल में जारी है तालिबान की परेड
काबुल पर कब्जा जमाने के दो सप्ताह बाद भी तालिबान अभी तक सरकार नहीं बना पाया है और उसके सामने कई चुनौतियों मुंह खोले खड़ी है। सरकार बनने के बाद भी अगर उसे मान्यता नहीं मिलती है तो वह अंतरराष्ट्रीय मदद भी हासिल नहीं कर पाएगी। इसी बीच काबुल में तालिबान के लड़ाकों की हथियारों और सैन्य वाहनों के साथ परेड जारी है। बुधवार को तालिबानी लड़ाकों ने कब्जाए वाहनों पर सवार होकर शहरों के चक्कर लगाए थे।