अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ उठाया कड़ा कदम, फ्रीज की 705 अरब रुपये की संपत्ति
क्या है खबर?
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा किए जाने के पीछे कूटनितिज्ञ अमेरिका के अपने सैनिकों को वापस बुलने के फैसले को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने इस फैसले का बचाव किया है।
इसी बीच अब अमेरिकी प्रशासन ने बिना सेना के ही तालिबान के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है।
अमेरिका ने अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक की करीब 9.5 अरब डॉलर यानी करीब 705 अरब रुपये की संपत्ति फ्रीज कर दिया है।
कदम
अमेरिकी कोषागार सचिव ने विशेष बैठक के बाद लिया निर्णय
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, अमेरिकी कोषागार सचिव जेनेट एल येलेन ने रविवार को कोषागार विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय के अधिकारियों के साथ एक विशेष बैठक की थी।
इसमें उन्होंने तालिबान के अमेरिकी कोषागार की प्रतिबंधित आतंकियों की सूची में शामिल होने को देखते हुए अफगान केंद्रीय बैंक की 705 अरब रुपये की संपत्ति को फ्रीज करने का निर्णय किया है। ऐसे में तालिबान अब इस संपत्ति को हासिल नहीं कर पाएगा।
परिणाम
तालिबान को करना पड़ सकता है वित्तीय संकट का सामना
तालिबान इस समय अफगानिस्तान में नई सरकार बनाने की तैयारी में जुटा है, लेकिन अमेरिका के इस कदम से उसे वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है।
इसका कारण यह है कि वर्तमान में अफगानिस्तान के पास अमेरिकी मुद्रा का भंडार शून्य है। तालिबान के हमलों के कारण अमेरिका से नकदी की नई खेप नहीं पहुंच पाई थी।
ऐसे में अब उस पर रोक लगाए जाने से तालिबान को धन के अभाव में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
ट्वीट
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बांड, संपत्तियों और सोने में जमा है सात अरब डॉलर- अहमदी
अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक के प्रमुख अजमल अहमदी ने भी बुधवार को ट्वीट कर अमेरिका द्वारा उठाए गए कदम की जानकारी दी।
उन्होंने लिखा, 'देश की करीब 9.5 अरब डॉलर की संपत्ति में से सात अरब डॉलर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बांड, संपत्तियों और सोने में जमा हैं।'
उन्होंने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान के पास अमेरिकी मुद्रा का भंडार शून्य है। ऐसे में अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ेगी।
परिणाम
अमेरिकी डॉलर की कमी से गिरेगा अफगानिस्तान की मुद्रा का मूल्य- अहमदी
अहमदी ने एक अन्य ट्वीट किया, 'तालिबान द्वारा देश पर कब्जे के बीच देश को नकदी का भंडार नहीं मिल पाया है। अमेरिकी डॉलर की कमी से अफगानिस्तान की मुद्रा का मूल्य गिरेगा और महंगाई बढ़ेगी। इसका सीध असर गरीब जनता पर पड़ेगा।'
उन्होंने आगे लिखा, 'तालिबान से सैन्य जीत हासिल कर ली है और अब वह देश पर शासन करने वाले हैं, लेकिन धन के अभाव में ऐसा कर पाना उनके लिए मुश्किल होगा।'
पृष्ठभूमि
तालिबान ने रविवार को किया था अफगानिस्तान पर कब्जा
गौरतलब है कि काबुल पर कब्जे के साथ ही पूरा अफगानिस्तान तालिबान के कब्जे में आ गया है। तालिबान ने युद्ध समाप्ति की घोषणा करते हुए कहा है कि वह जल्द ही नई शासन व्यवस्था की जानकारी देगा।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके स्टाफ ने रविवार को ही देश छोड़ दिया था।
तालिबान का राज वापस आने के बाद अफगान महिलाएं सबसे ज्यादा डरी हुई हैं जिन्हें उसके पहले शासन में अत्याचारों को सामना करना पड़ा था।