क्या अफगानिस्तान में काम कर पाएंगे फिल्म निर्माता और गायक? तालिबानी प्रवक्ता ने दिया जवाब
तालिबान ने दो दशक बाद फिर से अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। इसी बीच वहां के लोगों में तालिबान द्वारा लागू किए जाने वाले इस्लामिक शरिया कानून को लेकर दहशत बनी हुई है। यह कानून जहां महिलाओं के अभिशाप की तरह काम करता है, वहीं फिल्म निर्माताओं और गायक कलाकारों के लिए भी इसमें कोई जगह नहीं है। इसी बीच तालीबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा है कि फिल्म निर्माताओं और गायक कलाकारों को अपना काम बदलना होगा।
तालिबानियों ने शुरू किए फिल्म निर्माताओं और कलाकारों हमले
बता दें कि गत 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अशरफ गनी के नेतृत्व वाली सरकार को पद से हटा दिया है। इसके साथ ही तालिबान नई सरकार के गठन की तैयारियों में जुट गया है। इसी बीच तालिबानी लड़ाकों ने अफगानी नागरिकों, फिल्म निर्माताओं और गायक कलाकारों पर हमले करना शुरू कर दिया है। इसके चलते मनोरंजन उद्योग से जुड़े लोगों ने देश छोड़कर जाना शुरू कर दिया है।
तालिबान ने की थी मशहूर कॉमेडियन नजर मोहम्मद की हत्या।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, तालिबान ने पिछले 'खाशा ज्वान' के नाम से मशहूर कॉमेडियन नजर मोहम्मद की हत्या करना स्वीकार कर लिया है। कांधार के दक्षिणी हिस्से से आने वाले खाशा ज्वान अफगान नेशनल पुलिस के सदस्य थे। तालिबान ने प्रवक्ता मुजाहिद ने कहा, "वह कॉमेडियन नहीं थे। उन्होंने हमारे खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं। हमने उन्हें हिरासत में लिया था, लेकिन उन्होंने भागने की कोशिश की। ऐसे में हमारे लड़ाकों ने उन्हें मार गिराया।"
"गायकों और फिल्म निर्माताओं को बदलना होगा पेशा"
तालिबान कलाकारों को अपना काम जारी रखने की अनुमति देने के सवाल पर प्रवक्ता मुजाहिद ने कहा, "यदि फिल्म निर्माताओं और गायक कलाकारों का काम शरिया कानून के खिलाफ जाता है तो उन्हें अपना पेशा बदलना होगा।" इससे साफ हो गया कि अब अफगानिस्तान में मनोरंजन उद्योग के लिए कोई जगह नहीं होगी। बता दें कि कब्जे के बाद तालिबान ने वहां के सभी गायकों और फिल्म निर्माताओं को इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है।
आखिर क्या है शरिया कानून?
शरिया कानून इस्लाम की एक कानूनी प्रणाली है। यह पूरी तरह से कुरान और इस्लामी विद्वानों के फैसलों पर आधारित है। यह मुस्लिमों की दिनचर्या के लिए आचार संहिता के रूप में कार्य करता है। इसमें मुस्लिम लोगों के खुदा की इच्छाओं का पालन करने पर जोर होता है। हालांकि, शरिया कानून की अलग-अलग व्याख्याएं हैं। कुछ संगठनों ने शरिया कानून के तहत अंग-भंग और पत्थरबाजी को सही ठहराया है और महिलाओं से स्वतंत्रता छीनने को भी जायज ठहराया है।
अफगानिस्तान छोड़कर जा चुके हैं कई फिल्म निर्माता और गायक कलाकार
अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत को देखते हुए कई प्रमुख फिल्म निर्माताओं और गायकों ने देश छोड़ दिया है। काबुल से निकलने में कामयाब हुई एक पॉप स्टार आर्यना सईद ने मंगलवार को समाचार एजेंसी ANI को बताया कि तालिबान के शासन में महिलाओं का कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने तालिबानियों से अफगानिस्तान के लोगों के साथ अधिक मानवीय व्यवहार करने की अपील की है। जिससे की वहां लोग अधिक सुविधा के साथ अपनी जिंदगी जी सके।
सईद ने महिलाओं की संभावित हालत पर जताई चिंता
सईद ने कहा, "मैं उन महिलाओं के लिए चिंतित हूं जिन्हें घरों में कैद कर दिया जाएगा। उन्हें उनके मूल अधिकार नहीं दिए जाएंगे। बाहर जाते समय उन्हें अपने साथ पुरुष रिश्तेदार की आवश्यकता होगी। उन्हें स्कूल जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।"
कला या मूल्य संस्कृति का समर्थन नहीं करता तालिबान- करीमी
अफगानिस्तान की सबसे लोकप्रिय महिला फिल्म निर्माताओं में से एक और राज्य द्वारा संचालित अफगान फिल्म संगठन की प्रमुख सहरा करीमी ने देश छोड़ने के बाद एक इंस्टाग्राम वीडियो के जरिए अफगानिस्तान के हालातों की जानकारी दी है। वीडियो में काबुल में हंगामे के बीच सड़क पर दौड़ती नजर आती हैं। उन्होंने कहा कि तालिबान कला या मूल्य संस्कृति का समर्थन नहीं करता है और वो शिक्षित और स्वतंत्र महिलाओं से डरते हैं।