
विश्व बैंक ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता जताई, मदद भी रोकी
क्या है खबर?
विश्व बैंक ने तालिबान के कब्जे के बाद स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए अफगानिस्तान को दी जाने वाली सहायता रोक दी है।
विश्व बैंक की प्रवक्ता ने बताया कि अफगानिस्तान के हालात, खासतौर पर महिला अधिकारों की स्थिति से चिंतित होकर यह फैसला लिया है। फिलहाल विश्व बैंक ने हर प्रकार की आर्थिक सहायता रोक दी है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अमेरिका भी ऐसा कदम उठा चुके हैं।
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अफगानिस्तान में चल रहे थे विश्व बैंक के दो दर्जन से अधिक प्रोजेक्ट
वॉल स्ट्रीज जर्नल के अनुसार, विश्व बैंक ने 2002 के बाद से अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण और विकास कार्यों के लिए 5.3 बिलियन डॉलर की मदद देने के ऐलान किया था। यह मदद इंटरनेशनल डेवलेपमेंट एसोसिएशन के जरिये दी जानी थी, जो गरीब देशों की सहायता करता है।
अप्रैल तक अफगानिस्तान में विश्व बैंक के 940 मिलियन डॉलर के 12 प्रोजेक्ट्स पर और अफगानिस्तान पुनर्निर्माण ट्रस्ट फंड के तहत 1.2 बिलियन डॉलर के 15 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा था।
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किन देशों को मदद नहीं देता विश्व बैंक?
नियमों के तहत विश्व बैंक उन देशों में मदद नहीं देता है, जहां उसके सदस्यों द्वारा मान्यता प्राप्त सरकार नहीं होती और अभी तक तालिबान को किसी भी देश ने आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं है।
प्रवक्ता ने कहा, "हमने अफगानिस्तान में हमारे प्रोजेक्ट्स पर व्यय रोक दिया है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है। हम नियमों के तहत और अपने साझेदारों से इस संबंध में सलाह ले रहे हैं।"
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अफगानिस्तान से निकाले गए विश्व बैंक से जुड़े लोग
अफगानिस्तान से अपने सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को निकालने के बाद विश्व बैंक की तरफ से यह बयान जारी किया गया है। बताया जा रहा है कि शुक्रवार तक विश्व बैंक से जुड़े सभी लोगों को अफगानिस्तान से निकाल लिया गया था।
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IMF ने रोकी थी 46 करोड़ डॉलर की मदद
विश्व बैंक से पहले अमेरिका और IMF ने भी कार्रवाई करते हुए अफगानिस्तान को जाने वाली मदद रोक दी थी।
IMF ने तालिबान के कब्जे के बाद करीब 46 करोड़ डॉलर के आपातकालीन रिजर्व को अफगानिस्तान पहुंचने से रोक दिया था। साथ ही उसने तालिबान पर अपने संसाधनों का इस्तेमाल करने से रोक लगा दी थी।
सबको डर है कि अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद तालिबान इन पैसों का दुरुपयोग कर सकता है।
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अमेरिका ने भी फ्रीज की संपत्ति
इसी तरह अमेरिका ने कहा था कि वह अपने देश में मौजूद अफगानिस्तान के मुद्रा और सोने के भंडार को तालिबान के हाथों में नहीं जाने देगा। इसके लिए उसने अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक की करीब 9.5 अरब डॉलर की संपत्ति को फ्रीज कर दिया था।
एक अधिकारी ने बताया था कि अमेरिका में अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक की कोई भी संपत्ति तालिबान के लिए उपलब्ध नहीं होगी और यह वित्त मंत्रालय की प्रतिबंधित सूची में रहेगी।
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15 अगस्त को तालिबान ने किया था कब्जा
बता दें कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करते हुए देश में नया शासन लागू करने की घोषणा की थी। उसके एक नेता ने बताया था कि अफगानिस्तान में लोकतंत्र नहीं होगा और वहां परिषद के जरिये सरकार चलाई जा सकती है।
इस बीच तालिबान ने कहा कि यदि अमेरिकी सेना 31 अगस्त तक देश नहीं छोड़ती है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। तालिबान ने कहा कि इस तारीख को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।