LAC पर कुल मिलाकर हालात स्थिर, तनाव से द्विपक्षीय संबंधों पर असर नहीं- चीन
क्या है खबर?
चीन ने कहा कि भारत से सीमा विवाद मुद्दे की समाधान प्रक्रिया से व्यापार सहित बाकी संबंधों के विकास पर असर नहीं होगा। दावोस में विश्व आर्थिक मंच (WEF) के एक कार्यक्रम में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने ये बात कही।
उन्होंने कहा कि चीन हमेशा मानता है कि चीन-भारत सीमा प्रश्न एक ऐतिहासिक मुद्दा है और इसे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में उचित रूप से रखा और हल किया जाना चाहिए।
बयान
क्या बोले माओ?
माओ ने कहा, "चीन-भारत सीमा पर स्थिति कुल मिलाकर स्थिर है और समाधान प्रक्रिया से द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर असर नहीं पड़ना चाहिए। चीन-भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार हाल के सालों में 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और लगातार बढ़ रहा है। ये दोनों देशों के बीच आर्थिक-व्यापार सहयोग के लचीलेपन को दर्शाता है। चीन को उम्मीद है कि भारत चीनी कंपनियों के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण कारोबारी माहौल प्रदान कर सकता है।"
रिपोर्ट
सीमा पर तनाव कम हुआ तो हट सकते हैं प्रतिबंध- रिपोर्ट
चीन का यह बयान उस रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें दावा किया गया था कि अगर दोनों देशों की सीमा पर शांति बनी रहती है तो भारत चीनी निवेश की लेकर सख्ती कम कर सकता है।
रॉयटर्स ने एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी के हवाले से कहा था, "दोनों देशों के बीच संबंधों में सबसे बड़ी बाधा रहा सीमा तनाव अब कम हो गया है, जिससे निवेश संबंधों में सुधार हो सकता है और प्रतिबंध हटाए जा सकते हैं।"
व्यापार
तनाव के बीच लगातार बढ़ रहा व्यापार
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव के बावजूद द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ा है। 2015 से 2022 के दौरान भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार में 90.14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
2022 में चीन के साथ कुल व्यापार साल दर साल 8.47 प्रतिशत की दर से बढ़कर 11 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। यह लगातार दूसरा साल रहा, जब दोनों देशों के व्यापार ने 8 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया है।
विवाद
गलवान हिंसा के बाद जारी है भारत-चीन में तनाव
चीनी और भारतीय सेना के बीच गलवान घाटी में जून, 2020 में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इस संघर्ष में चीन को भी भारी नुकसान हुआ था।
इसके बाद से ही सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। इसे सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई और सेनाओं के कुछ विवादित क्षेत्रों से पीछे हटाने पर सहमति भी बनी।