लद्दाख: भारत ने की चीन के बराबर तैनाती, गलवान नदी पर बनाए जा रहे सात पुल
क्या है खबर?
चीन के लद्दाख स्थित पैंगोंग झील पर दो पुलों का निर्माण करने के जवाब में भारत ने भी जवाबी कार्रवाई की है।
भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के बराबर तैनाती कर रखी है।
दौलत बेग ओल्डी सैन्य अड्डे तक जाने के लिए सड़कों और पुलों का पूरा जाल बिछाया गया है। इनसे टैंक और बख्तरबंद वाहन भी जा सकते हैं।
आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए गलवान नदी पर सात पुल भी बनाए जा रहे हैं।
दौरा
सेना प्रमुख ने खुद जाकर लिया तैनाती का जायजा
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना के नए प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने इस महीने की शुरूआत में पूर्वी लद्दाख का दौरा किया और चीन की तैनाती और भारत की जवाबी तैनाती का पूरा जायजा लिया।
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार, जनरल पांडे भारतीय सेना की तैनाती से संतुष्ट रहे, लेकिन उन्होंने चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन इलाके में चीनी सेना के निर्माण पर गंभीर आपत्ति जताई।
पुल
11 मीटर चौड़ा है चीन का दूसरा पुल, आसानी से लाए जा सकते हैं टैंक
भारतीय सेना को मिली सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, पैंगोंग झील की सबसी पतली जगह खुरनाक में चीन ने जो पहला पुल बनाया था, वह छह मीटर चौड़ा था और इससे जीपों की आवाजाही हो सकती है।
लेकिन चीन जो दूसरा पुल बना रहा है, वह 11 मीटर चौड़ा है और वह 70 टन तक का वजह सह सकता है, जोकि चीन के सबसे भारी टैंक के वजन से ज्यादा है। इसका मतलब चीन इससे टैंक ले जा सकता है।
रिपोर्ट
पुलों को सैन्य अड्डों से जोड़ने के लिए सड़कें भी बना रहा चीन
रिपोर्ट के अनुसार, ये दोनों पुल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे को जोड़ने का काम करेंगे और इनसे रुडोक अड्डे का रास्ता लगभग 180 किलोमीटर कम हो जाएगा।
इसके अलावा चीन इन पुलों को मोल्डा पोस्ट और स्पैंगगुर झील के पीछे स्थित एक सैन्य अड्डे से छोड़ने के लिए सड़के भी बना रहा है।
इस पूरे निर्माण का मकसद दक्षिणी किनारे पर अगस्त, 2020 जैसे भारतीय सेना के किसी भी ऑपरेशन की काट करना है।
जानकारी
अगस्त, 2020 में भारत ने क्या किया था?
अगस्त, 2020 में भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर चीन की कमजोरी का फायदा उठाया था और एक विशेष अभियान चलाते हुए ज्यादातर ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था। इसके कारण चीन को पूरे इलाके से अपनी सेना हटानी पड़ी थीं।
अवैध निर्माण
चीन द्वारा कब्जाई गई जमीन पर बनाए गए हैं दोनों पुल
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार, खुरनाक में बन रहे दोनों पुल भारत की LAC की धारणा के बाहर हैं और तकनीकी तौर पर उस इलाके में हैं जिन पर 1959 में चीन ने कब्जा कर लिया था।
भारत दोनों पुलों के निर्माण पर आपत्ति जता चुका है और इन्हें अवैध तरीके से कब्जाई गई भारतीय जमीन पर निर्माण बताया है। भारत का कहना है कि उसने कभी भी इलाके पर चीन के दावों को स्वीकार नहीं किया।