भारत-चीन सीमा पर गश्ती नियम और पारंपरिक मुद्दों को सुलझाने के लिए बनाएंगे बुनियादी नियम
भारत और चीन के बीच शुक्रवार को दौलत बेग ओल्डी (DBO) और चुशुल में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मेजर जनरल स्तर की बैठक हुई। इसमें पूर्वी लद्दाख के चुशुल और देपसांग इलाके को लेकर चर्चा की गई। ये बैठक 14 अगस्त को दोनों देशों के बीच हुई सैन्य कमांडर स्तर के 19वें राउंड की बातचीत के बाद हुई है। बैठक में सीमा विवाद पर विस्तृत और बारीकी से चर्चा की गई।
बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच विवादित सीमा पर नई चौकी न बनाने, गश्त की सीमा निर्धारित करने और सैनिकों के बीच भरोसा बढ़ाने के लिए कदम उठाने जैसे फैसले लिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में देपसांग मैदान और डेमचोक में लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को सुलझाने के लिए भी चर्चा हुई है। दोनों देशों के बीच अब ब्रिगेड कमांडर और कमांडिंग ऑफिसर लेवल की भी बैठक होगी।
2 अलग-अलग जगहों पर हुई बैठक
दोनों देशों के सैन्य अधिकारी DBO और चुशुल में मिले। बैठक में मेजर जनरल पीके मिश्रा और मेजर जनरल हरिहरन ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसमें मौजूदा मुद्दों को हल करने के लिए फैसले लेने के अलावा लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को सुलझाने पर भी बात हुई। 2020 से पहले तक LAC पर गश्त की जैसी स्थिति थी, उसे बहाल करने पर भी चर्चा हुई। हालांकि, कोई ठोस फैसला निकलकर नहीं आया है।
मोदी-जिनपिंग की मुलाकात से पहले स्थिति सामान्य करने की कोशिश
दक्षिण अफ्रीका में 22 से 24 अगस्त को BRICS देशों का सम्मेलन होना है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हो सकती है। दोनों देश कोशिश कर रहे हैं कि इससे पहले कम से कम देपसांग विवाद को सुलझा लिया जाए। देपसांग में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने गश्त बिंदु 10, 11, 11A, 12 और 13 तक भारतीय सेना को जाने से रोक दिया है। यहां पहले सेना गश्त किया करती थी।
देपसांग में क्या है विवाद?
करीब 16,000 फीट की ऊंचाई पर स्थिति देपसांग सामरिक और रणनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। यह तिब्बत को शिनजियांग से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण पश्चिमी राजमार्ग G-219 के काफी करीब है। भारत के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण काराकोरम दर्रे और DBO तक पहुंचने के लिए ये बेहद अहम है। चीनी सेना ने भारत को इस इलाके में स्थिति अपने पारंपरिक गश्ती केंद्रों में जाने से रोक दिया है। चीन भारत के क्षेत्र में करीब 18 किलोमीटर अंदर बैठा है।
गलवान झड़प के बाद बढ़ा तनाव
भारत और चीन के बीच साल 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 38 चीनी सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन इस बात को मानने से इनकार करता है। इस हिंसा की शुरुआत चीन द्वारा इस क्षेत्र पर अवैध निर्माण करने से हुई थी। इसके बाद भारत ने गलवान नदी पर एक पुल का निर्माण किया था, जिसे चीनी सैनिक तोड़ने आए और हिंसा शुरू हो गई।