मोदी-जिनपिंग की मुलाकात से पहले चीन ने लद्दाख से पीछे हटने से इनकार किया- रिपोर्ट
अगले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की BRICS की बैठक के दौरान मुलाकात होनी है। इसे देखते हुए कयास लगाए जा रहे थे कि 13-14 अगस्त को दोनों देशों के बीच हुई सैन्य कमांडर स्तर की 19वें राउंड की बातचीत में लद्दाख से तनाव कम करने की दिशा में कुछ सकारात्मक पहल होगी, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। चीन ने लद्दाख मुद्दे पर पीछे हटने से इनकार कर दिया है।
झुकने को तैयार नहीं चीन- रिपोर्ट
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, लद्दाख के देपसांग में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने गश्त बिंदु 10, 11, 11A, 12 और 13 तक भारतीय सेना को जाने से रोक दिया है। इस इलाके में पहले भारतीय सेना गश्त करती थी। एक अधिकारी ने कहा, "हमने PLA से देपसांग मैदान और डेमचोक के पास चार्डिंग निंगलुंग नाला (CNN) ट्रैक जंक्शन में भारतीय सेना की गश्ती बहाल करने के लिए कहा, लेकिन चीनी पक्ष झुकने को तैयार नहीं था।"
बेनतीजा रही दोनों देशों के बीच बातचीत
रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों पक्षों के बीच 17 घंटे की बातचीत के बावजूद पूर्वी लद्दाख के देपसांग मैदान और डेमचोक में सैनिकों के टकराव का हल नहीं निकला। चीन ने देपसांग मैदान, दौलत बेग ओल्डी (DBO), काराकोरम दर्रे और डेमचोक के पास CNN ट्रैक जंक्शन की ओर भारतीय सैनिकों के गश्त करने के अधिकार को मानने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही भारत-चीन सैन्य वार्ता का एक और दौर कोई सकारात्मक नतीजा निकालने में विफल रहा।
BRICS और G20 समिट में होनी है मोदी-जिनपिंग की मुलाकात
बता दें कि 22-24 अगस्त के बीच दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में मोदी और जिनपिंग के बीच मुलाकात होनी है। इसके बाद सिंतबर की शुरुआत में G-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जिनपिंग नई दिल्ली आएंगे। तब भी दोनों नेताओं के बीच मुलाकात होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मुलाकातों में किसी तरह की अजीब स्थिति से बचने के लिए भारत सैन्य वार्ता से किसी तरह का सकारात्मक परिणाम चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
देपसांग में क्या है विवाद?
करीब 16,000 फीट की ऊंचाई पर स्थिति देपसांग सामरिक और रणनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। यह तिब्बत को शिनजियांग से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण पश्चिमी राजमार्ग G-219 के काफी करीब है। भारत के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण काराकोरम दर्रे और DBO तक पहुंचने के लिए ये बेहद अहम है। चीनी सेना ने भारत को इस इलाके में स्थिति अपने पारंपरिक गश्ती केंद्रों में जाने से रोक दिया है। चीन भारत के क्षेत्र में करीब 18 किलोमीटर अंदर बैठा है।