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भारत के पास टैंकर को निशाना बनाने के अमेरिकी दावे को ईरान ने किया खारिज
ईरान ने अमेरिका के दावे से किया इनकार

भारत के पास टैंकर को निशाना बनाने के अमेरिकी दावे को ईरान ने किया खारिज

लेखन महिमा
Dec 25, 2023
04:18 pm

क्या है खबर?

ईरान ने सोमवार को अमेरिका के इस दावे को खारिज कर दिया कि उसने पश्चिमी तट पर अरब सागर में रासायनिक टैंकर पर हमला किया था। ईरान ने अमेरिका दावे का खंडन करते हुए इसे 'निराधार' बताया है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका का आरोप निराधार है। बता दें कि गुजरात तट के पास एक टैंकर पर हमला होने के बाद अमेरिका ने इसका आरोप ईरान पर लगाया था।

हमला

कब हुआ था मालवाहक जहाज पर हमला?

यह घटना शनिवार सुबह लगभग 10 बजे की है। गुजरात के पोरबंदर तट के पास एक टैंकर पर अचानक ड्रोन हमला हुआ था। इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ और टैंकर पर लगी आग बुझा दी गई। इसके बाद लाइबेरिया के ध्वज वाले इस टैंकर को भारतीय तटरक्षक जहाज (ICGS) विक्रम की निगरानी में मुंबई की ओर भेजा गया था। इसी को लेकर अमेरिका ने दावा किया था कि टैंकर पर ड्रोन हमला ईरान ने किया था।

दावा

अमेरिका ने क्या दावा किया था?

अमेरिका ने दावा किया था कि हिंद महासागर में जापान के स्वामित्व वाले रासायनिक टैंकर पर ड्रोन हमला ईरान की ओर से किया गया था। रविवार को पेंटागन के एक प्रवक्ता ने कहा था कि जहाज पर ड्रोन हमला भारत के गुजरात तट से 200 समुद्री मील दूर हुआ था। बता दें कि यह पहली बार था जब अमेरिका ने इजरायल-हमास युद्ध के बाद ईरान पर हिंद महासागर में जहाजों को निशाना बनाने का आरोप लगाया था।

चेतावनी 

ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड ने दी थी जलमार्ग बंद करने की चेतावनी

ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड (IRGC) के समन्वयक कमांडर ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा नकदी ने चेतावनी दी कि जब तक इजरायल-हमास युद्ध नहीं रुकता, तब तक अन्य जलमार्गों को जबरन बंद कर दिया जाएगा। नकदी ने कहा, "युद्ध के बीच अमेरिका और उसके सहयोगियों को नई प्रतिरोध ताकतों के उभरने और अन्य जलमार्गों के बंद होने की उम्मीद करनी चाहिए।" इसके अलावा ईरान समर्थित हूती विद्रोही लाल सागर में जहाजों को निशाना बना रहे हैं।

न्यूजबाइट्स प्लस 

न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

हूती यमन के अल्पसंख्यक शिया समुदाय का एक हथियारबंद समूह है। इस समूह का नाम इसके संस्थापक हुसैन अल हूती के नाम पर पड़ा है। इस समूह का गठन 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के कथित भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए किया गया था। 2014 के बाद से ये संगठन काफी मजबूत हुआ है और वर्तमान में यमन के एक बड़े हिस्से पर हूतियों का कब्जा है।