
देश में गंभीर चक्रवातों की संख्या बढ़ी, भारी बारिश की घटनाओं में भी इजाफा- केंद्र सरकार
क्या है खबर?
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने संसद में दाखिल अपने एक जबाव में हालिया वर्षों में उत्तर हिंद महासागर के ऊपर बनने वाले गंभीर चक्रवातों की संख्या में वृद्धि की बात कही है। मंत्रालय के अनुसार, जिन इलाकों में चक्रवात बनने की गतिविधियों में इजाफा हुआ है, उनमें अरब सागर और बंगाल की खाड़ी भी शामिल हैं।
इसके अलावा मंत्रालय ने 20 सेंटीमीटर से अधिक बारिश वाली अत्यंत भारी वर्षा की घटनाओं में वृद्धि की बात भी कही है।
आंकड़े
2018 और 2019 में बने औसत से अधिक चक्रवात
बुधवार को राज्यसभा में दाखिल किए गए अपने जबाव में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने कहा है कि 1891 और 2017 के बीच जहां उत्तर हिंद महासागर के ऊपर हर साल औसतन पांच चक्रवात बने, वहीं 2018 और 2019 में ये संख्या बढ़ गई। 2018 में सात और 2019 में आठ चक्रवात बने।
मंत्रालय के अनुसार, पिछले साल बने च्रकवातों में से पांच अरब सागर के ऊपर बने, जबकि 1902 से इनका सामान्य स्तर हर साल एक चक्रवात था।
जबाव
गंभीर चक्रवातों की संख्या बढ़ी, जान के नुकसान में आई कमी
मंत्रालय ने अपने जबाव में 2019 में गंभीर चक्रवातों की संख्या बढ़ने की बात भी कही है। उसके अनुसार, 2018 में बने सात चक्रवात में से जहां छह गंभीर तीव्रता के थे, वहीं पिछले साल के आठ चक्रवातों में से सात गंभीर तीव्रता वाले थे।
हालांकि गंभीर तीव्रता वाले चक्रवातों की संख्या भले ही बढ़ी हो, लेकिन इस दौरान बेहद पूर्वानुमानों की मदद से 2013 के बाद जान के नुकसान को दोहरे अंकों तक सीमित कर दिया गया है।
भारी वर्षा
भारी वर्षा की घटनाओं में भी आई वृद्धि
मंत्रालय ने अपने जबाव में हालिया वर्षों में भारी बारिश की घटनाओं में इजाफे की बात भी कही है। मंत्रालय के अनुसार, पिछले साल देशभर के 554 मौसम स्टेशनों पर अत्यंत भारी वर्षा (20 सेंटीमीटर से अधिक) दर्ज की गई, वहीं देश के 4,000 मौसम स्टेशनों में से 3,056 पर बहुत भारी वर्षा दर्ज की गई।
इसके विपरीत 2017 में 261 स्टेशनों पर अत्यंत भारी वर्षा और 1,824 स्टेशनों पर बहुत भारी वर्षा दर्ज की गई थी।
भारतीय मौसम विभाग
IMD को मिल रही राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर वाहवाही- मंत्रालय
देश में और चक्रवात चेतावनी केंद्र बनाने की जरूरत से इनकार करते हुए मंत्रालय ने अपने जबाव में कहा है कि देश के सभी तटीय इलाकों की जरूरतों को पहले ही पूरा कर दिया गया है।
मंत्रालय के अनुसार, भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने उच्च सटीकता के साथ चक्रवातों की जल्द चेतावनी की शानदार क्षमता दिखाई है और इसके लिए उसे राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर वाहवाही मिली है। इसी सटीकता के कारण मौतों की संख्या में कमी आई है।
अन्य रिपोर्ट
1950 के बाद अत्यंत भारी वर्षा की घटनाओं में इजाफे की बात कह चुका है मंत्रालय
इससे पहले इसी साल जारी की गई अपनी एक रिपोर्ट में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने कहा था कि 1950 के बाद से देश में अत्यंत भारी वर्षा की घटनाओं की संख्या और तीव्रता में इजाफा हुआ है, वहीं इस बीच मध्यम बारिश की घटनाओं में कमी आई।
इसके अलावा भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) की एक स्टडी में 1950-2015 के बीच पश्चिमी तटों और केंद्रीय भारत में भारी बारिश में तीन गुना इजाफे की बात सामने आई थी।