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    कौन हैं 'इथियोपिया के नेल्सन मंडेला' अबी अहमद और उन्हें क्यों मिलेगा नोबेल शांति पुरस्कार? जानें

    कौन हैं 'इथियोपिया के नेल्सन मंडेला' अबी अहमद और उन्हें क्यों मिलेगा नोबेल शांति पुरस्कार? जानें

    लेखन मुकुल तोमर
    Oct 11, 2019
    06:49 pm

    क्या है खबर?

    साल 2019 का नोबेल शांति पुरस्कार इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली को दिया गया है।

    उन्हें ये शांति पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय शांति और सहयोग में उनके प्रयासों और अपने दुश्मन देश इरिट्रिया के साथ शांति स्थापित करने के लिए दिया गया है।

    इथियोपिया और इरिट्रिया के बीच पिछले 20 साल से युद्ध और संघर्ष चल रहा था और इसमें दोनों देशों के करीब 80,000 लोग मारे गए थे।

    अबी अहमद को 'इथोपिया का नेल्सन मंडेला' भी कहा जाता है।

    जानकारी

    नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले 100वीं शख्सियत

    नोबेल पुरस्कार पाने वाले अबी अहमद 100वें व्यक्ति होंगे। ओस्लो में 10 दिसंबर को उन्हें 9 मिलियन डॉलर का यह शांति पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। 2019 के नोबेल पुरस्कार के लिए 301 उम्मीदवार थे, इनमें 223 शख्सियत और 78 संस्थाएं शामिल थीं।

    ऐतिहासिक कदम

    प्रधानमंत्री बनने के मात्र तीन महीने के अंदर अबी अहमद ने खत्म की दुश्मनी

    43 साल के अबी अहमद अप्रैल 2018 में इथियोपिया के प्रधानमंत्री बने थे और प्रधानमंत्री बनने के साथ ही उन्होंने इरिट्रिया के साथ संघर्ष को खत्म करने पर काम शुरू कर दिया।

    देश की सत्ता संभालने के मात्र तीन महीने बाद वह सीमा से होते हुए इरिट्रिया में दाखिल हुए।

    इरिट्रिया की राजधानी असमारा में वह वहां के राष्ट्रपति अफवर्की से मिले और उन्हें गले लगाते हुए दोनों देशों के बीच चली आ रही दुश्मनी के खात्मे का ऐलान किया।

    बयान

    "प्यार के पुल ने खत्म कर दी दोनों देशों के बीच सीमा"

    इरिट्रिया जाने के एक दिन बाद अबी अहमद ने एक बेहद शानदार भाषण दिया था जिसमें उन्होंने ऐतिहासिक ऐलान करते हुए कहा, "इरिट्रिया और इथियोपिया के बीच अब कोई सीमा नहीं है, क्योंकि प्यार के पुल ने इसे खत्म कर दिया है।"

    इतिहास

    क्या है इथियोपिया और इरिट्रिया के संघर्ष की कहानी?

    इरिट्रिया पहले इथियोपिया महासंघ का हिस्सा हुआ करता था और इथियोपिया के खिलाफ 30 साल लंबे संघर्ष के बाद उसे अप्रैल 1993 में आजादी मिली।

    इथियोपिया ने 1962 में अपने उत्तर में स्थित इरिट्रिया पर कब्जा किया था। लेकिन इरिट्रिया की आजादी के पांच साल बाद ही दोनों देशों की सीमा पर स्थित बदमे नामक नगर को लेकर दोनों देशों में युद्ध छिड़ गया।

    इसमें लाखों लोगों का विस्थापन हुआ और इरिट्रिया के हजारों निवासी यूरोप भाग गए।

    लड़ाई

    युद्ध खत्म, लेकिन संघर्ष हुआ शुरू

    जून 2000 में दोनों देशों ने युद्ध रोका और दिसंबर में अल्जीरिया में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।

    इस समझौते से युद्ध का अंत हुआ और बदमे पर विवाद को सुलझाने के लिए एक सीमा आयोग का गठन किया गया।

    अप्रैल 2002 में आयोग ने इरिट्रिया के पक्ष मे फैसला सुनाते हुए बदमे को उसे दे दिया।

    हालांकि, इथियोपिया ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया और तभी से दोनों देशों के बीच संघर्ष चला आ रहा है।

    जानकारी

    सैन्य अधिकारी के तौर पर युद्ध में हिस्सा ले चुके हैं अबी अहमद

    एक सैन्य अधिकारी के तौर पर युद्ध में हिस्सा ले चुके 41 वर्षीय अबी अहमद अप्रैल 2018 में इथियोपिया के प्रधानमंत्री बने और तत्काल इरिट्रिया से संघर्ष खत्म करने पर काम शुरू कर दिया। जुलाई 2018 में शांति समझौते के साथ उनके प्रयास सफल रहे।

    फायदा

    इथियोपिया के लिए बेहद फायदेमंद है शांति समझौता

    इस समझौते से इथियोपिया को खासा फायदा होने की संभावना है।

    दरअसल, इथियोपिया चारों तरफ से जमीन से घिरा है और अदन की खाड़ी और अरब सागर के जरिए व्यापार के लिए जिबूती पर अत्यधिक निर्भर है।

    वहीं इरिट्रिया लाल सागर के किनारे स्थित है जो रणनीतिक और व्यापारिक नजरिए से बेहद अहम है।

    अब इस समझौते के बाद इथियोपिया इरिट्रिया के बंदरगाहों का इस्तेमाल कर सकेगा, जिससे उसे बेहद लाभ होगा।

    अन्य उपलब्धियां

    इन मोर्चों पर भी अबी अहमद ने किया ऐतिहासिक काम

    इरिट्रिया के साथ समझौते के अलावा प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में अबी अहमद ने इथियोपिया में बड़े पैमाने पर उदारीकरण भी किया है।

    वह जेल में बंद हजारों विपक्षी कार्यकर्ताओं को रिहा कर चुके हैं और देश से निर्वासित लोगों को वापस लौटने की इजाजत दी है।

    इसके अलावा उन्होंने सितंबर 2018 में इरिट्रिया और जिबूती की दुश्मनी और इसके बाद केन्या और सोमालिया के संघर्ष को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई है।

    जानकारी

    अब तक दो भारतीयों को मिला है नोबेल शांति पुरस्कार

    अभी तक केवल दो भारतीयों को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया है। मदर टेरेसा को सामाजिक सेवा के लिए 1979 और कैलाश सत्यार्थी को अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए कार्य के लिए 2018 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।

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