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हिंद महासागर में इजरायल से जुड़े जहाज पर ड्रोन हमला, चालक दल में हैं 20 भारतीय
हिंद महासागर में जहाज पर ड्रोन हमले की खबर है (प्रतीकात्मक तस्वीर/Pexels)

हिंद महासागर में इजरायल से जुड़े जहाज पर ड्रोन हमला, चालक दल में हैं 20 भारतीय

लेखन आबिद खान
Dec 23, 2023
05:04 pm

क्या है खबर?

हिंद महासागर में इजरायल के एक व्यापारिक जहाज पर कथित तौर पर ड्रोन हमला हुआ है, जिससे जहाज में विस्फोट हो गया। यह हमला वेरावल के दक्षिण-पश्चिम में हुआ है, जिसके बाद जहाज में आग लग गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक व्यापारिक जहाज पर अज्ञात हवाई वाहन द्वारा हमला किया गया है। हादसे को लेकर अभी ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है। घटना के बाद यूनाइटेड किंगडम मैरिटाइम ट्रेड ऑपरेशंस (UKMTO) ने अन्य जहाजों को चेतावनी जारी की है।

जहाज

भारत ने मदद के लिए रवाना किया तटरक्षक जहाज

घटना के बाद भारतीय नौसेना ने विक्रम श्रेणी के तटरक्षक जहाज को घटनास्थल की ओर रवाना किया है। समाचार एजेंसी ANI ने रक्षा अधिकारियों के हवाले से कहा है कि जहाज में कच्चा तेल है और आग पर काबू पा लिया गया है। चालक दल के सभी सदस्य सुरक्षित हैं, जिनमें करीब 20 भारतीय भी शामिल हैं। यह जहाज सऊदी अरब के एक बंदरगाह से मैंगलोर की ओर आ रहा था।

हताहत

हमले में किसी के हताहत होने की खबर नहीं

UKMTO ने कहा, "जहाज में कुछ संरचनात्मक क्षति की सूचना मिली है और पानी भी भर गया है। जहाज इजरायल से संबद्ध था। जहाज का आखिरी बार सऊदी अरब से संपर्क हुआ था और भारत आने वाला था। हमले में अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। मामले की जांच की जा रही है।" UKMTO ने जहाजों को इलाके से सचेत होकर निकलने की अपील की है।

इजरायल

इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहे हैं हूती विद्रोही

इजरायल-हमास युद्ध के बीच यमन के हूती विद्रोही लाल सागर में इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहे हैं। हूतियों का कहना है कि वे हमास का समर्थन करते हैं, इसलिए इजरायल से जुड़े वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बनाना जारी रखेंगे। नवंबर में हूतियों ने लाल सागर में एक जहाज को अगवा कर यमन के तट पर ले गए थे। बीते कुछ महीनों में हूतियों ने यहां कई जहाजों को निशाना बनाया है।

प्लस

न्यूजबाइट्स प्लस

हूती यमन के अल्पसंख्यक शिया समुदाय का एक हथियारबंद समूह है। इस समूह का नाम इसके संस्थापक हुसैन अल हूती के नाम पर पड़ा है। इस समूह का गठन 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के कथित भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए किया गया था। 2014 के बाद से ये संगठन काफी मजबूत हुआ है और वर्तमान में यमन के एक बड़े हिस्से पर हूतियों का कब्जा है।