NATO की सदस्यता के लिए आवेदन करने को लगभग तैयार फिनलैंड, स्वीडन भी कर रहा तैयारी

फिनलैंड के राष्ट्रपति सौली निनिस्तो और प्रधानमंत्री सना मरीन ने गुरुवार को कहा कि उनके देश को बिना देरी किए NATO (नॉर्थ अटलाटिंक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) की सदस्यता के लिए आवेदन करना चाहिए। अभी तक सैन्य रूप से तटस्थ रहे फिनलैंड के यह ऐतिहासिक कदम होने जा रहा है। देश के शीर्ष नेताओं की तरफ से इन बयानों के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि फिनलैंड NATO में शामिल होने को तैयार है। स्वीडन भी ऐसी तैयारी कर रहा है।
NATO अमेरिका और उसके सहयोगियों का एक सैन्य गठबंधन है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल, 1949 को एक संधि के जरिए इसका गठन किया गया था। अमेरिका, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK) समेत कुल 12 देशों ने इसकी स्थापना की थी। अभी इसके सदस्यों की संख्या 30 है। NATO का सबसे प्रमुख प्रावधान ये है कि अगर कोई इनमें से किसी एक देश पर हमला करता है तो इसे सभी देशों पर हमला माना जाएगा।
फिनलैंड के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने संयुक्त बयान में कहा कि देश को बिना देर किए सदस्यता के लिए आवेदन कर देना चाहिए। इसके लिए जरूरी सभी कदम जल्द उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि NATO की सदस्यता देश की सुरक्षा को मजबूत करेगी और फिनलैंड की मौजूदगी पूरे सैन्य गठबंधन को मजबूती देगी। राष्ट्रपति निनिस्तो ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले ने सुरक्षा स्थिति बदल दी है। हालांकि, फिलहाल कोई खतरा नहीं है।
सप्ताहांत के दौरान सदस्यता आवेदन के प्रस्ताव पर फिनलैंड की संसद में चर्चा होगी और सोमवार तक इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की शुरुआत के बाद से फिनलैंड अपनी सुरक्षा स्थिति की समीक्षा कर रहा था और अब उसने तटस्थता की नीति छोड़कर NATO के साथ जाने का फैसला किया है। बता दें, 1939 में सोवियत संघ ने फिनलैंड पर हमला किया था। इस युद्ध को विंटर वार नाम से जाना जाता है।
फिनलैंड की 1,300 किमी लंबी सीमा रूस से लगती है और उसके NATO में जाने के बाद रूस से सटी सैन्य गठबंधन की सीमा लगभग दोगुनी हो जाएगी। रूस 14 देशों के सीमा साझा करता है और उसमें से पांच (लातविया, एस्तोनिया, लिथुआनिया पोलैंड और नॉर्वे) पहले से ही NATO के सदस्य हैं। अब फिनलैंड और स्वीडन भी इस फेहरिस्त में शामिल होने जा रहे हैं। इससे नाराज रूस ने कालिनींग्रेड में परमाणु हथियार तैनात करने की चेतावनी दी है।
NATO सहयोगियों ने उम्मीद जताई है कि फिनलैंड और स्वीडन दोनों ही अगले कुछ दिनों में सदस्यता के लिए आवेदन कर देंगे और उन्हें जल्द ही सैन्य गठबंधन में शामिल कर लिया जाएगा। सहयोगियों का कहना है कि पहले साल के दौरान इस क्षेत्र में NATO सैनिकों की संख्या बढ़ाई जाएगी, ज्यादा सैन्य अभ्यास का आयोजन होगा और समुद्री गश्ती में भी इजाफा किया जाएगा। अमेरिकी और ब्रिटिश सैनिकों की भी इन देशों में तैनाती हो सकती है।
अगर फिनलैंड और स्वीडन NATO के सदस्य बनते हैं तो फिलहाल उन्हें इसके सबसे प्रमुख प्रावधान- एक सदस्य पर हमला मतलब पूरे गठबंधन पर हमला, का फायदा नहीं मिलेगा। इसके लिए सदस्यता को सभी 30 देशों की मंजूरी जरूरी है। फिनलैंड लगभग साफ संकेत दे चुका है कि वह NATO में शामिल होने जा रहा है, वहीं स्वीडन भी जल्द ही इस बारे में फैसला करेगा। माना जा रहा है कि दोनों देश एक साथ आवेदन कर सकते हैं।