रूस के साथ बातचीत को लेकर अमेरिका ने की भारत की आलोचना, कहा- बेहद निराशाजनक
क्या है खबर?
अमेरिका और उसके सहयोगियों की आर्थिक पाबंदियों के असर को कमजोर करने वाले रूस के एक प्रस्ताव पर विचार करने के लिए अमेरिका ने भारत की आलोचना की है।
उसने भारत के इस रवैये को बेहद निराशाजनक बताया है। अमेरिका के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत के फैसले पर निराशा व्यक्त की है।
ये बयान यूक्रेन युद्ध पर भारत के रवैये को लेकर उसके सहयोगी देशों में बढ़ती असहजता को दर्शाते हैं।
पृष्ठभूमि
भारत के किस फैसले पर उठ रहे सवाल?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत रूस से खरीदारी के लिए SWIFT के वैकल्पिक सिस्टम SPFS के जरिए रुपये-रूबल में पेयमेंट करने की योजना पर विचार कर रहा है।
SWIFT अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेयमेंट का सिस्टम है और अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस के बड़े बैंकों को इससे बाहर निकाल दिया है, जिसके कारण रूस को डॉलर में पेयमेंट नहीं हो सकता।
अगर भारत SPFS के जरिए रुपये-रूबल में पेयमेंट करता है तो अमेरिकी पाबंदियों का असर कम होगा।
बयान
अमेरिका ने क्या कहा?
अमेरिका की वाणिज्य मंत्री जीना रैमोंडो ने बुधवार को वॉशिंगटन में मीडिया के साथ बातचीत में कहा, "अब इतिहास के सही तरफ खड़े होने का समय है। अमेरिका और दर्जनों देशों के साथ खड़े होने, आजादी, लोकतंत्र और संप्रभुता के लिए यूक्रेनी लोगों के साथ खड़े होने का समय है। ये राष्ट्रपति पुतिन के युद्ध को फंड करने, उसे ईंधन प्रदान करने और उसमें मदद करने का समय नहीं है।"
बयान
लोकतंत्रों का एक साथ मिलकर काम करना जरूरी- ऑस्ट्रेलिया
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री डैन तेहान ने मामले पर अपनी राय रखते हुए कहा, "द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनाई गई नियम आधारित व्यवस्था को कायम रखने के लिए लोकतंत्रों का एक साथ मिलकर काम करना जरूरी है।"
यूक्रेन युद्ध
यूक्रेन मुद्दे पर भारत को बेहद सावधानी से रखने पड़ रहे अपने कदम
बता दें कि यूक्रेन-रूस युद्ध मामले में भारत को बेहद सावधानी के साथ अपनी राह चुननी पड़ रही है और अभी तक उसने किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं किया है।
उसने संयुक्त राष्ट्र (UN) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में किसी भी पक्ष के समर्थन में वोट नहीं किया था।
भारत ने साफ किया है कि वह चाहता है कि मामले का समाधान बातचीत के जरिए हो, इसलिए वह किसी का पक्ष नहीं ले रहा।
असहजता
भारत के रूख से सहयोगी देश असहज
भारत का ये रुख उसके क्वाड सहयोगियों (अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान) से अलग है जो तीखे शब्दों में रूस की आलोचना कर चुके हैं और उसके खिलाफ कई कदम भी उठाए हैं।
इसी कारण भारत के इस रुख से ये सहयोगी देश, खासकर अमेरिका, बहुत खुश नहीं हैं और उनमें भारत के रुख के प्रति असहजता बढ़ती जा रही है।
रूस से सस्ते दामों में कच्चा तेल खरीदने के भारत के फैसले ने स्थिति को और जटिल किया है।
दुविधा
हथियारों के लिए रूस पर निर्भरता के कारण भारत दुविधा में
यूक्रेन युद्ध पर भारत के इस रवैये के लिए रूस पर उसकी निर्भरता को जिम्मेदार माना जा रहा है। ऐतिहासिक तौर पर भारत और रूस के बेहद मजबूत संबंध रहे हैं और भारत कई चीजों के लिए रूस पर निर्भर है।
इनमें हथियार भी शामिल हैं और भारत का 70-80 प्रतिशत रक्षा सामान रूस निर्मित है। भारत का चीन के साथ तनाव भी चल रहा है। ऐसे में वह रूस को नाराज करने का खतरा मोल नहीं ले सकता है।