विश्व नेताओं को चुनौती देने वाली 16 वर्षीय छात्रा नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित
स्वीडन की 16 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। नार्वे के 3 सांसदों ने उनका नाम इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामित किया है। पिछले साल अगस्त में उन्होंने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी समेत विश्व के कई बड़े नेताओं को घेरा था। बता दें कि 17 साल की उम्र में शांति पुरस्कार जीतने वाली पाकिस्तान की मलाला युसुफजई पुरस्कार पाने वाली सबसे युवा व्यक्ति हैं।
राष्ट्रीय नेता कर सकते हैं शांति पुरस्कार के लिए नामित
नार्वे के समाजवादी सांसद फ्रेडी एंड्री ओवस्टेगार्ड ने कहा, "हमने थनबर्ग का नाम सुझाया है क्योंकि अगर हम जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कुछ नहीं करते तो यह युद्ध, संघर्ष और शरणार्थियों का कारण बनेगा।" बता दें कि राष्ट्रीय नेता और यूनिवर्सिटी प्रोफेसर नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अपने पसंदीदा व्यक्तियों को नामित कर सकते हैं। इस साल के पुरस्कार के लिए 304 उम्मीदवारों को नामित किया गया है, जिसमें से 219 व्यक्ति और 85 संगठन हैं।
स्कूल की बजाय विरोध प्रदर्शन करती हैं थनबर्ग
थनबर्ग पिछले साल अगस्त से हर शुक्रवार स्कूल जाने की बजाय स्वीडन की संसद के सामने जलवायु परिवर्तन पर ठोस कार्रवाई के लिए प्रदर्शन करती हैं। वह इस मुद्दे पर 'स्कूल स्ट्राइक' का चेहरा बनकर उभरी हैं। उन्होंने इस दौरान विश्व नेताओं को जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को नजरअंदाज न करने को कहा था। अपने वीडियो संदेश में थनबर्ग ने जिन विश्व नेताओं का नाम लिया था, उनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे।
युवाओं के लिए प्रेरणा बनीं थनबर्ग
बता दें कि थनबर्ग ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन 2018 और दावोस में विश्व नेताओं को व्यक्तिगत तौर पर चुनौती देते हुए कहा था, "बदलाव आ रहा है, वे इसे पसंद करें या नहीं करें।" थनबर्ग ने पिछले साल अगस्त में अकेले ही प्रदर्शन शुरु किया था, लेकिन UN और थानोस में जलवायु परिवर्तन पर अपने भाषण के बाद वह कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन गईं। तब से कई युवा उस जैसे प्रदर्शनों की शुरुआत कर चुके हैं।
थनबर्ग ने ट्वीट कर किया शुक्रिया अदा
थनबर्ग ने खुद को नामित किए जाने पर ट्वीट करते हुए कहा, 'मैं इस नामांकन के लिए बेहद आभारी हूं और सम्मानित महसूस कर रही हूं। कल हम अपने भविष्य के लिए स्कूल स्ट्राइक करेंगे और जब तक जरूरत होगी, हम यह करते रहेंगे।' अखबार 'गार्डियन' की एक खबर के अनुसार, जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई की मांग करने वाली यह स्ट्राइक शुक्रवार को 105 देशों के 1659 कस्बों और शहरों में होगी और इसमें हजारों युवा शामिल होंगे।